भारत के जिगरी यार से दोस्ती बढ़ाएगा पाकिस्तान, हथियारों पर हैं निगाहें; सेनाएं कर चुकीं सैन्य अभ्यास
- भारत और रूस की यह दोस्ती दशकों पुरानी और परस्पर विश्वास, सहयोग और रणनीतिक समझ पर आधारित है, जो समय के साथ और गहरी होती गई है।
भारत और रूस की दोस्ती विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण और पुरानी साझेदारी मानी जाती है, जो 1950 के दशक से लेकर आज तक मजबूती से कायम है। अब पाकिस्तान भी भारत के इसी जिगरी यार से दोस्ती बढ़ाना चाहता है। हाल ही में पाकिस्तान वायु सेना (PAF) के एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू ने रूस के साथ सैन्य सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया है। मंगलवार को जारी एक बयान में पाकिस्तान की सेना के मीडिया विंग, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने बताया कि एयर चीफ मार्शल सिद्दू और रूस के डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर कर्नल जनरल अलेक्जेंडर वी. फोमिन के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, तकनीकी सहयोग, और औद्योगिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा हुई।
सैन्य हथियारों पर पाकिस्तान की निगाहें
बयान के अनुसार, “बैठक में PAF के उपकरणों के तकनीकी सहयोग और संयुक्त सैन्य अभ्यास के माध्यम से वर्तमान संबंधों को मजबूत करने के नए मार्गों पर चर्चा की गई।” ऐसा कहा जा रहा है कि पाकिस्तान रूस से बड़े स्तर पर सैन्य हथियार खरीदने का इच्छुक है। फोमिन ने वर्तमान नेतृत्व के तहत पाकिस्तान वायु सेना में हुए विकास की सराहना की और सैन्य सहयोग और तकनीकी समर्थन के माध्यम से दोनों देशों के संबंधों को और सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता जताई। हाल ही में पाकिस्तान और रूस ने 'द्रूजबा' (मित्रता) VII नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी शुरू किया है।
इसके अलावा, कर्नल जनरल फोमिन ने इस्लामाबाद स्थित नौसेना मुख्यालय में पाकिस्तान नौसेना के प्रमुख एडमिरल नावेद अशरफ से भी मुलाकात की। पाकिस्तान नौसेना द्वारा जारी बयान में कहा गया कि इस बैठक में द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सहित आपसी हित के व्यावसायिक मामलों पर चर्चा की गई। एडमिरल अशरफ ने कहा कि पाकिस्तान रूस के साथ अपने संबंधों को अत्यधिक महत्व देता है और दीर्घकालिक, बहुआयामी साझेदारी को बढ़ाने की इच्छा रखता है। बैठक में द्विपक्षीय प्रशिक्षण, विज़िट्स के आदान-प्रदान और दोनों नौसेनाओं के बीच संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों के आयोजन पर भी चर्चा हुई।
अटूट रही है भारत-रूस की दोस्ती
वैसे भारत-रूस संबंधों की बात करें तो इसकी नींव 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद रखी गई। विशेष रूप से 1971 में भारत और सोवियत संघ (वर्तमान रूस) के बीच हस्ताक्षरित ‘भारत-सोवियत मैत्री संधि’ से इन संबंधों को एक नई दिशा मिली। यह संधि उस समय के महत्वपूर्ण राजनीतिक माहौल में भारत को समर्थन देने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए थी, खासकर बांग्लादेश युद्ध के समय, जब सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया था।
भारत और रूस का आपसी सहयोग प्रमुख रूप से रक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान, ऊर्जा, व्यापार, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में देखने को मिलता है। रक्षा क्षेत्र में, रूस भारत का सबसे बड़ा साझेदार रहा है, जिसने भारत को मिग-21, सुखोई, टी-90 टैंक और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे कई एडवांस हथियारों की आपूर्ति की है। दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे "इंद्र" भी होते हैं, जो रक्षा सहयोग को और मजबूत करते हैं।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी सहयोग गहरा है। 1975 में भारत का पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' सोवियत संघ की मदद से लॉन्च किया गया था, और भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के स्पेस मिशन के तहत अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी। भारत और रूस का व्यापारिक रिश्ता भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी रूस, भारत को परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने में मदद कर रहा है। कुदानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जो रूसी सहयोग से तमिलनाडु में संचालित हो रहा है। भारत और रूस की यह दोस्ती दशकों पुरानी और परस्पर विश्वास, सहयोग और रणनीतिक समझ पर आधारित है, जो समय के साथ और गहरी होती गई है।
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