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मोदी आते तो अच्छा होता, 75 साल यूं ही बर्बाद नहीं करने हैं; जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा से गदगद नवाज शरीफ

  • बता दें कि अपनी पाक यात्रा के दौरान जयशंकर ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष व नवाज शरीफ के करीबी इशाक डार से भी मुलाकात की। हालांकि दोनों के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, इस्लामाबादThu, 17 Oct 2024 07:35 PM
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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होने से दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्मक शुरुआत की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि बातचीत शुरू करने को लेकर भारत की एकमात्र शर्त है कि पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद की फैक्ट्री को बंद करे। फिर भी जयशंकर की यात्रा से पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को काफी उम्मीदें लगी हैं।

इंडिया टुडे से खास बातचीत में नवाज शरीफ ने कहा कि जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा से भारत और पाकिस्तान के बीच अतीत को भुलाकर भविष्य की समस्याओं जैसे ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करने का मौका मिलेगा। नवाज शरीफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हमें वहीं से शुरुआत करनी चाहिए, जहां हम रुक गए थे।" शरीफ ने दशकों से चल रहे तनावपूर्ण संबंधों की ओर इशारा करते हुए कहा, "75 साल इसी तरह बीत गए हैं। हमें अगले 75 साल यूं ही बर्बाद नहीं करने चाहिए।" शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की SCO बैठक में उपस्थिति की इच्छा भी जताई। उन्होंने कहा, "मोदी आते तो और अच्छा होता। पड़ोसी नहीं बदले जा सकते। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।"

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बता दें कि अपनी पाक यात्रा के दौरान जयशंकर ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष व नवाज शरीफ के करीबी इशाक डार से भी मुलाकात की। हालांकि, SCO बैठक के दौरान दिए गए अपने भाषण में, जयशंकर ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को लेकर पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, "सीमा पार की गतिविधियों में यदि ये 'तीन बुराइयां' शामिल रहेंगी तो वे व्यापार, ऊर्जा प्रवाह और कनेक्टिविटी को बढ़ावा नहीं दे सकतीं।"

जयशंकर ने कहा, "हमारी कोशिशें तभी आगे बढ़ेंगी जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखेंगे। इसका मतलब है कि आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से सख्ती से निपटना होगा। यदि सीमा पार की गतिविधियों में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद शामिल हैं, तो वे व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहित करने की संभावना नहीं रखते।"

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