Hindi Newsविदेश न्यूज़NASA is offering 20000 dollar for your plan to How you rescue stranded astronauts Sunita Williams

अंतरिक्ष में फंसे सुनीता विलियम्स जैसे यात्रियों को कैसे बचाएंगे? प्लान बताने वाले को 16 लाख रुपये देगा NASA

  • इस मिशन में सबसे बड़ी चुनौती है कि किसी अंतरिक्ष यात्री के चोटिल या असमर्थ होने की स्थिति में उसे सुरक्षित वापस लूनर लैंडर तक कैसे पहुंचाया जाए।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तानThu, 5 Dec 2024 03:07 PM
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भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपने साथी बुच विल्मोर के साथ लंबे समय से स्पेस (ISS) में फंसी हुई हैं। कुछ दिनों के लिए स्पेस में गईं सुनीता विलियम्स अब करीब 8 महीने बाद धरती पर लौट सकेंगी। इसकी वजह ‘स्पेस एक्स’ के ‘कैप्सूल’ में आई खराबी बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि टेक्नोलॉजी के मामले में सबसे ज्यादा एडवांस नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों का कम समय में रेस्क्यू क्यों नहीं कर सका है। अब इसी तरह की समस्याओं को हल करने के लिए नासा ने दुनियाभर के टेक दिग्गजों के लिए एक चैलेंज शुरू किया है।

नासा (NASA) ने अपने महत्वाकांक्षी आर्टेमिस मिशन के तहत एक नए चैलेंज की घोषणा की है। इसमें ग्लोबल इनोवेटर्स को चंद्रमा पर घायल या असमर्थ अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बचाने के लिए लूनर रेस्क्यू सिस्टम डिजाइन करने का मौका दिया गया है। इस चैलेंज में कुल 45,000 डॉलर (38 लाख) का पुरस्कार रखा गया है, जिसमें सबसे अच्छे सलूशन के लिए 20,000 डॉलर (16 लाख) तक का इनाम दिया जाएगा। एंट्री 23 जनवरी 2025 तक HeroX पोर्टल पर सबमिट की जा सकती हैं।

नासा का यह कदम चंद्रमा के कठोर वातावरण में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सितंबर 2026 में निर्धारित आर्टेमिस मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को एक्सप्लोर करेगा, जो बेहद ठंडे और ऊबड़-खाबड़ इलाके वाला क्षेत्र है। इस मिशन में सबसे बड़ी चुनौती है कि किसी अंतरिक्ष यात्री के चोटिल या असमर्थ होने की स्थिति में उसे सुरक्षित वापस लूनर लैंडर तक कैसे पहुंचाया जाए।

अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा एक प्राथमिकता

नासा की सारा डगलस ने इस चुनौती की गंभीरता को समझाते हुए कहा, “चंद्रमा के कठोर वातावरण में किसी अंतरिक्ष यात्री के घायल होने, मेडिकल इमरजेंसी या किसी दुर्घटना के कारण असमर्थ हो जाने की संभावना एक बड़ी चिंता है।” चंद्रमा की कम गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बावजूद, अंतरिक्ष यात्री का स्पेससूट इतना भारी होता है कि उसे मैन्युअल रूप से ले जाना लगभग असंभव है। इसके अलावा, दक्षिणी ध्रुव का क्षेत्र खड़ी ढलानों, बड़े-बड़े पत्थरों और गहरे गड्ढों से भरा हुआ है। यहां चट्टानें 20 मीटर तक चौड़ी और गड्ढे 1 से 30 मीटर तक गहरे हो सकते हैं।

तकनीकी आवश्यकताएं और चुनौतियां

नासा के अनुसार, लूनर रेस्क्यू सिस्टम को कम से कम 2 किलोमीटर की दूरी तक, 20 डिग्री की ढलानों पर, बिना किसी रोवर के सहारे काम करना होगा। यह सिस्टम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की कठिन परिस्थितियों में स्वतंत्र रूप से काम करने के योग्य होना चाहिए। इसके अलावा, इसे नासा के नए और एडवांस एक्सिओम एक्स्ट्रावेहिकुलर मोबिलिटी सूट के साथ भी फिट होना होगा। नासा ने कहा, “इस समाधान को चंद्रमा के कठोर दक्षिणी ध्रुवीय वातावरण में प्रभावी रूप से कार्य करना चाहिए और यह लूनर रोवर पर निर्भर नहीं हो सकता।”

वैश्विक भागीदारी का अवसर

यह चैलेंज HeroX पोर्टल पर होस्ट किया जा रहा है, जिसे नासा ने अक्सर पब्लिक इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए इस्तेमाल किया है। लोगों की एंट्री का मूल्यांकन नासा के विशेषज्ञों के पैनल द्वारा किया जाएगा। डिजाइन की जांच वजन, इस्तेमाल में आसानी और अंतरिक्ष यात्री की सुरक्षा पर इसके प्रभाव जैसे मानदंडों के आधार पर होगी।

आर्टेमिस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है। दक्षिणी ध्रुव का क्षेत्र पानी की बर्फ की संभावित उपस्थिति के कारण एक्सप्लोरेशन के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह संसाधन भविष्य में चंद्रमा पर पानी, ऑक्सीजन और यहां तक कि रॉकेट ईंधन प्रदान करने में सहायक हो सकता है। इस चैलेंज के माध्यम से, नासा वैश्विक प्रतिभाओं को मून एक्सप्लोरेशन में योगदान देने और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक अभूतपूर्व अवसर दे रहा है।

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