इस देश में मुसलमानों के लिए ऐसी क्या गाइडलाइन लाई सरकार, हंगामे के बाद प्रस्ताव वापस
- मलेशिया की सरकार ने मुसलमानों को लेकर एक विवादास्पद गाइडलाइन तीखी आलोचना के बाद वापस लेना पड़ा। लोगों ने सरकार पर अनावश्यक दखलंदाजी का आरोप लगाया।

मुस्लिम बहुल देश मलेशिया में सरकार को एक विवादास्पद प्रस्ताव लेना पड़ा। यह प्रस्ताव उन मुसलमानों के लिए था, जो गैर मुस्लिम कार्यक्रम में शामिल होते हैं। गाइडलाइन में मुस्लिमों की गैर-इस्लामिक धार्मिक आयोजनों में भागीदारी को सीमित करने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव की भारी आलोचना हुई, खासकर सेलांगोर के सुल्तान ने सरकार पर अनावश्यक दखलंदाजी का आरोप लगाया। इसके बाद सरकार को अपने कदम पीछे लेने पड़े।
मलेशिया में प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। उन्होंने एक दिशानिर्देश प्रस्तावित किया, जिसमें मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों के बीच बातचीत पर सरकारी निगरानी की बात कही गई थी।
गाइडलाइन क्या थी
ये दिशानिर्देश सरकार को यह अधिकार देते कि वह मुस्लिमों के गैर-मुस्लिमों के साथ सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में भाग लेने को नियंत्रित कर सके। खासकर, यह शादी, अंतिम संस्कार और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में मुस्लिमों की भागीदारी को प्रभावित करता। सरकार का कहना था कि इन दिशानिर्देशों से धार्मिक एकता को बढ़ावा मिलेगा और इस्लामी दृष्टिकोण से गलतफहमियों को रोका जा सकेगा। लेकिन इस प्रस्ताव की तीव्र आलोचना हुई।
सेलांगोर के सुल्तान की तीखी प्रतिक्रिया
सेलांगोर के सुल्तान शरफुद्दीन इदरीस शाह ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि इससे देश में धार्मिक और नस्लीय सद्भावना को खतरा हो सकता है। सुल्तान ने एक बयान में कहा, मुस्लिमों के अपने धर्म से भटकने की संभावना नहीं है, क्योंकि मैं मानता हूं कि वे अपने विश्वास की सीमाओं को समझते हैं और आसानी से प्रभावित नहीं होते। उन्होंने आगे कहा कि मलेशिया जैसे बहुसांस्कृतिक देश में धार्मिक सहिष्णुता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने मुस्लिमों से आग्रह किया कि वे अपने इस्लामी ज्ञान को और मजबूत करें ताकि उनके विश्वास में मजबूती बनी रहे।
विरोध से बैकफुट में सरकार
सुल्तान की प्रतिक्रिया के तुरंत बाद, धार्मिक मामलों के मंत्री मोहम्मद नाइम मुख्तार ने घोषणा की कि इस मुद्दे पर धार्मिक अधिकारियों द्वारा सुल्तान की इच्छाओं को तत्काल लागू किया जाएगा। मंत्री ने पिछले हफ्ते इन दिशानिर्देशों की घोषणा की थी, जिसमें कहा गया था कि गैर-मुस्लिमों को मुस्लिमों को अपने धार्मिक आयोजनों में आमंत्रित करने से पहले इस्लामी धार्मिक अधिकारियों से अनुमति या परामर्श लेना होगा। इस प्रस्ताव की गैर-मुस्लिम धार्मिक समूहों ने कड़ी आलोचना की और इसे "अव्यावहारिक, अनुचित और अति हस्तक्षेपकारी" करार दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे मलेशियाई समाज में वर्षों से बनी आपसी समझ और सौहार्द बिगड़ सकता है।
पीएम इब्राहिम का यू-टर्न
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बाद में कहा कि ये दिशानिर्देश आवश्यक नहीं हैं क्योंकि मुस्लिम अपने धर्म की रक्षा स्वयं कर सकते हैं, और उन्हें अन्य पूजा स्थलों पर जाने से रोकने की आवश्यकता नहीं है।
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