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ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कर ली अपनी विदाई की तैयारी, बेटे को चुपचाप बनाया उत्तराधिकारी

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को चुपचाप उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया है। खामेनेई की तबीयत खराब होने की वजह से यह फैसला किया गया है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानSun, 17 Nov 2024 02:03 PM
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इजरायल से तनाव के बीच खबर है कि ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई की भी सेहत काफी बिगड़ गई है। ऐसे में रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मुजतबा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया गया है। उन्होंने गुप्त रूप से यह काम किया है। बता दें कि खामेनेई 85 साल के हैं और काफी बीमार चल रहे हैं। रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि वह नहीं चाहते कि उनकी मौत के बाद सत्ता का संघर्ष हो इसलिए अपने बेटे को जिम्मेदारियां दे दी हैं।

जानकारों का कहना है कि ईरान की एक्सपर्ट असेंबली ने दो महीने पहले ही नए सुप्रीम लीडर का चुनाव कर लिया था। खामेनेई ने गुप्त रूप से असेंबली की बैठक बुलाकर यह फैसला करने को कहा था। इसके बाद मोजतबा खामेनेई के नाम पर सहमति जताई गई। बता दें कि मोजतबा इससे पहले सरकार में किसी पद पर नहीं थे। हालांकि पिछले कुछ समय से कामकाज में उनका दखल देखा जाता था।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इस फैसले को गुप्त रखने को भी कहा गया था जिससे कि किसी तरह का विरोध ना हो। दरअसल डर इस बात कहा है कि इस तरह से अलोकतांत्रिक तरीके से सुप्रीम लीडर के चुनाव को लेकर ईरान की जनता भड़क भी सकती है। ऐसे में विरोध प्रदर्शन की आशंका की लजह से इस फैसले को गुप्त रखने को कहा गया था।

खामेनेई ने अपने बड़े बेटे मुस्तफा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया है। इसकी कोई वजह भी सामने नहीं आई है।जानकारी के मुताबिक मोजतबा अब तक सार्वजनिक रूप से ज्यादा दिखाई नहीं देते थे। हालांकि उनका प्रभाव पूरे देश में बना हुआ है। बताया जाता है कि खुफिया एजेंसियों और सरकार में भी मोजतबा के विश्वसनीय लोग हैं। वहीं पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद उनका ओहदा और बढ़ता चला गया।

आयतुल्लाह खामनेई पिछले 35 साल से ईरान की सर्वोच्च सत्ता पर हैं। 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई थी। रुहोल्लाह खामेनेई ने मोहम्मद रजा पहलवी को हटाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 1981 में वह राष्ट्रपति बने। 1989 में सुप्रीम लीडर खुमैनी की मौत के बाद वह उत्तराधिकारी हो गए।

दरअसल आयतुल्लाह एक धार्मिक पदवी है और सुप्रीम लीडर होने के लिए यह पदवी मिला जरूरी है। हालांकि खामेनेई पहले धार्मिक नेता नहीं थे। ऐसे में कानून में बदलाव करके उन्हें सुप्रीम लीडर बनाया गया था। ईरान में सुप्रीम लीडर का पद राष्ट्रपति से भी बड़ा होता है। सुप्रीम लीडर का फैसला ही आखिरी माना जाता है।

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