हर तरफ कीचड़ और बारिश, टेंट लगाकर पनामा के जंगल में छिपते दिखे भारतीय; डंकी रूट का डरावना वीडियो
- ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कथित तौर पर महिलाओं और बच्चों सहित भारतीयों को पनामा के एक जंगली इलाके में डेरा डालते हुए दिखाया गया है।
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अमेरिका से 104 भारतीयों को डिपोर्ट कर दिया गया है, जिनमें हरियाणा के करनाल निवासी 20 वर्षीय अकाश भी शामिल हैं। अकाश ने अपने परिवार को अपनी खतरनाक यात्रा की भयावह कहानी सुनाई, जिसमें उसने अमेरिका पहुंचने के लिए करीब 72 लाख रुपये खर्च किए। परिवार द्वारा शेयर किए गए वीडियो में अकाश अन्य अवैध प्रवासियों के साथ पनामा के घने जंगलों में डेरा डाले नजर आ रहा है। वीडियो में कई महिलाएं और बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं, जो कठिनाइयों का सामना करते हुए एक नहर पार कर रहे हैं। अकाश ने 10 महीने पहले भारत छोड़ा था और 26 जनवरी को मेक्सिको की दीवार कूदकर अमेरिका में प्रवेश किया।
धोखाधड़ी का शिकार हुआ अकाश
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अकाश का परिवार दावा कर रहा है कि उसे सुरक्षित मार्ग से मेक्सिको के जरिए अमेरिका पहुंचाने का वादा किया गया था, लेकिन एजेंटों ने उसे 'डंकी रूट' यानी सबसे खतरनाक और लंबा रास्ता चुनने पर मजबूर कर दिया। इस रूट में कई देशों को पार करना पड़ता है, जिसमें पनामा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडुरास, ग्वाटेमाला और अंत में मेक्सिको शामिल हैं। अकाश को अमेरिका में हिरासत में लिया गया और परिवार के अनुसार, उसे मजबूर किया गया कि वह डिपोर्टेशन पेपर पर साइन कर दे। अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसे जेल की सजा भुगतनी पड़ती। कई लोगों ने कहा है कि उन्हें उनके ट्रैवल एजेंटों ने बीच रास्ते में ही छोड़ दिया था।
ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कथित तौर पर महिलाओं और बच्चों सहित भारतीयों को पनामा के एक जंगली इलाके में डेरा डालते हुए दिखाया गया है। वीडियो में कई भारतीय जंगल में एक छोटे से मैदान में टेंट लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुरुष रबर के जूते पहने कीचड़ में बैठे दिखाई दे रहे हैं, और महिलाएं अपनी गोद में बच्चों को लिए टेंट के पास दिखाई दे रही हैं। एक वीडियो में जंगल में भारी बारिश के बीच भारतीय रेनकोट पहने हुए हैं। पनामा से कठिन यात्रा के बाद वे कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडुरास और ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचते हैं, जहां से वे अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं।
अमेरिका से 104 भारतीयों को डिपोर्ट कर दिया गया है, जिनमें हरियाणा के करनाल निवासी 20 वर्षीय अकाश भी शामिल हैं। अकाश ने अपने परिवार को अपनी खतरनाक यात्रा की भयावह कहानी सुनाई, जिसमें उसने अमेरिका पहुंचने के लिए करीब 72 लाख रुपये खर्च किए। परिवार द्वारा शेयर किए गए वीडियो में अकाश अन्य अवैध प्रवासियों के साथ पनामा के घने जंगलों में डेरा डाले नजर आ रहा है। वीडियो में कई महिलाएं और बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं, जो कठिनाइयों का सामना करते हुए एक नहर पार कर रहे हैं। अकाश ने 10 महीने पहले भारत छोड़ा था और 26 जनवरी को मेक्सिको की दीवार कूदकर अमेरिका में प्रवेश किया।
धोखाधड़ी का शिकार हुआ अकाश
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अकाश का परिवार दावा कर रहा है कि उसे सुरक्षित मार्ग से मेक्सिको के जरिए अमेरिका पहुंचाने का वादा किया गया था, लेकिन एजेंटों ने उसे 'डंकी रूट' यानी सबसे खतरनाक और लंबा रास्ता चुनने पर मजबूर कर दिया। इस रूट में कई देशों को पार करना पड़ता है, जिसमें पनामा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडुरास, ग्वाटेमाला और अंत में मेक्सिको शामिल हैं। अकाश को अमेरिका में हिरासत में लिया गया और परिवार के अनुसार, उसे मजबूर किया गया कि वह डिपोर्टेशन पेपर पर साइन कर दे। अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसे जेल की सजा भुगतनी पड़ती। कई लोगों ने कहा है कि उन्हें उनके ट्रैवल एजेंटों ने बीच रास्ते में ही छोड़ दिया था।
ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कथित तौर पर महिलाओं और बच्चों सहित भारतीयों को पनामा के एक जंगली इलाके में डेरा डालते हुए दिखाया गया है। वीडियो में कई भारतीय जंगल में एक छोटे से मैदान में टेंट लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुरुष रबर के जूते पहने कीचड़ में बैठे दिखाई दे रहे हैं, और महिलाएं अपनी गोद में बच्चों को लिए टेंट के पास दिखाई दे रही हैं। एक वीडियो में जंगल में भारी बारिश के बीच भारतीय रेनकोट पहने हुए हैं। पनामा से कठिन यात्रा के बाद वे कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडुरास और ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचते हैं, जहां से वे अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं।
हाथ-पैर में बेड़ियां, खाली हाथ लौटे भारतीय प्रवासी
बुधवार को अमेरिकी सैन्य विमान 104 भारतीयों को अमृतसर वापस लेकर आया। इस दौरान इन सभी प्रवासियों के हाथ और पैर में बेड़ियां थीं, जिन्हें सिर्फ अमृतसर हवाई अड्डे पर ही खोला गया। गुरदासपुर के हरदोरवाल गांव के जस्पाल सिंह भी इन 104 प्रवासियों में से एक हैं। उन्होंने बताया कि वह 24 जनवरी को अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर पकड़े गए थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने एजेंट से कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने की बात की थी, लेकिन उनके साथ धोखा हुआ।
एक अन्य प्रवासी हरविंदर सिंह ने बताया कि वह अगस्त 2024 में भारत से निकले थे। उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मेक्सिको ले जाया गया। रास्ते में समुद्र में उनकी नाव डूबने वाली थी, लेकिन किसी तरह वे बच गए। उन्होंने यह भी बताया कि पनामा के जंगलों में एक व्यक्ति की मौत हो गई और समुद्र में एक व्यक्ति डूब गया।
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले डिपोर्टेशन
यह डिपोर्टेशन ऐसे समय में हुआ है जब कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा प्रस्तावित है। अमेरिकी प्रशासन ने अवैध प्रवासियों पर कड़ा रुख अपनाया है, जिसके तहत ये कार्रवाई की गई। अमृतसर पहुंचने के बाद सभी प्रवासियों से पंजाब पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने पूछताछ की कि कहीं उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है।
एजेंटों के जाल में फंस रहे भारतीय युवा
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका और कनाडा जाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनमें से कई अवैध तरीकों का सहारा लेते हैं। ये युवा अपने जीवनभर की कमाई और जमीन बेचकर एजेंटों को पैसा देते हैं, लेकिन कई बार उन्हें धोखा मिलता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार अवैध प्रवास को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी?
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