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खालिस्तानियों के खिलाफ प्रवासियों के बनाओ समूह, वायरल आदेश पर MEA ने दिया जवाब

  • विदेश मंत्रालय ने ऐसे किसी भी आदेश को जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से फर्जी है। सोशल मीडिया पर वायरल इस मेमो को कथित तौर पर पूर्व विदेश सचिव द्वारा जारी किया गया था।

Upendra Thapak हिन्दुस्तान टाइम्सFri, 8 Nov 2024 06:28 PM
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कनाडा में भारतीय राजनयिकों से खालिस्तानियों के खिलाफ प्रवासियों के समूह तैयार करने के एक वायरल आदेश को विदेश मंत्रालय ने फर्जी बताया है। मंत्रालय ने ऐसे किसी भी आदेश को जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से फर्जी है। सोशल मीडिया पर वायरल इस मेमो को कथित तौर पर पूर्व विदेश सचिव द्वारा जारी किया गया था। इस मेमो में कनाडा में मौजूद भारतीय राजनयिकों से सिख चरमपंथियों से निपटने के लिये प्रवासी भारतीयों के समूहों को तैयार करने के लिए कहा गया था।

विदेश मंत्रालय के एक्सटर्नल पब्लिसिटी एंड पब्लिक डिप्लोमेसी डिपार्टमेंट ने इस पूरे मामले पर अपना बयान देते हुए कहा कि भारत सरकार के नाम से चलाया जा रहा यह पूरा मेमो फर्जी है, सरकार का या मंत्रालय का इससे किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है।

कथित तौर पर राजनयिकों को संबोधित करते हुए लिखे गए इस मेमो को पूर्व विदेश सचिव विनय क्वात्रा द्वारा जारी किया गया। इस मेमो में चरमपंथियों के खिलाफ प्रवासियों के मजबूत समूहों को तैयार करने को कहा गया है। इसमें कनाडा के विभिन्न भारतीय प्रवासी समूहों जैसे इंडो-कनाडा एसोसिएशन, इंडो-कनाडा चैंबर ऑफ कॉमर्स, TIE, सिलिकॉन वैली और USIBC के नामों का भी उल्लेख है।

भारत-कनाडा विवाद

भारत कनाडा विवाद पिछले साल कनाडाई आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से ही लगातार बढ़ता जा रहा है। कनाडा की ट्रूडो सरकार ने निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार और कनाडा में मौजूद भारतीय राजनयिकों को जिम्मेदार ठहराया और राजनयिकों के खिलाफ जांच करने के आदेश को जारी कर दिया। ट्रूडो ने कनाडा की संसद में खड़े होकर भारत सरकार के खिलाफ आरोप लगाए थे। भारत सरकार ने इन सभी आरोपों को निरर्थक और ट्रूडो के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताया था। विदेश मंत्रालय ने भी आरोपों को बेतुका और राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताया था। मंत्रालय ने कहा कि कनाडा लगातार चरमपंथी और भारत विरोधी तत्वों को जगह दे रहा है।

कनाडा में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने वाले खालिस्तानी चरमपंथियों के कथित हमलों से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी प्रभावित हुए हैं। पिछले सप्ताह कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर के परिसर में भक्तों और अन्य लोगों पर हमला किया गया था।

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