मालदीव का चीन से एक और अहम समझौता, श्रीलंका की हालत देख कर भी नहीं सुधरा; भारत पर क्या असर
- मालदीव ने चीन के साथ लोकल करेंसी में सैटलमेंट करने का समझौता कर लिया है। इससे चीन को मालदीव में निवेश करने में आसानी रहेगी,इसके साथ ही चीन के साथ व्यापार करने वाले व्यापारियों को भी इससे फायदा होगा।
पड़ोसी देश मालदीव ने चीन के साथ एक लोकल करेंसी सैटलमैंट के नए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे चीन को मालदीव में निवेश करने में आसानी होगी। मालदीव के विदेश मंत्रालय के एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बनी एक रिपोर्ट के अनुसार, लोकल करेंसी सैटलमेंट करने के लिए हुए इस समझौते से चीन से व्यापार करने वाले मालदीविय व्यापारियों को आर्थिक लाभ होगा और इससे मालदीव में होने वाले चीनी निवेश में भी वृद्धि होगी।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, चीन के केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को मालदीव में प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने के लिए मालदीव की सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के एक बयान के हवाले से कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगा। इससे दोनों देशो के बीच संबंध और भी ज्यादा मजबूत होंगे।
एटोल टाइम्स के अनुसार, मालदीव के आर्थिक विकास मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच में आर्थिक खुलेपन को बढ़ाने और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने के मालदीव के प्रयासों को भी दिखाता है। हम सभी देशों के साथ मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं। इसी वर्ष जनवरी में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने जब चीन की यात्रा की थी तब ही इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इसी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच में अहम रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा हुई।
चीन के साथ मालदीव की गहरी होती दोस्ती का भारत पर क्या असर
मालदीव में मुइज्जू की सरकार आने के बाद से भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आने की शुरुआत हो चुकी थी। मुइज्जू सरकार को भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता है। चीन और मालदीव की बीच बढ़ती इस दोस्ती भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकी श्रीलंका पहले ही चीन के जाल में फंस कर आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुका है। भारत नहीं चाहेगा कि एक और देश चीन के लोन पर आर्थिक रूप से निर्भर हो। हालांकि मालदीव के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के बाद भारत और इस द्वीपीय देश के बीच संबंधों में नई गर्म जोशी आई है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मालदीव जाकर भारत और मालदीव के बीच कुछ अहम समझौते किए थे उस समय मुइज्जू का रुख भी भारत के प्रति नरम हुआ था। मालदीव के ऊपर इस समय सुकुक डिफॉल्ट का खतरा बना हुआ है। चीन को अगले महीने अपने इस्लामिक बांड के ब्याज को चुकाना है। इसके लिए मालदीव भारत की मदद की राह देख रहा है क्योंकि वह पहले से ही चीन से लोन ले चुका है। मुइज्जू आगामी दिनों में भारत की यात्रा पर आने वाले हैं ऐसे में वह प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान लाइन ऑफ क्रेडिट पर लोन देने की बात कर सकते हैं।
चीन के साथ मालदीव के इस समझौते से भारत पर मालदीव की मदद करने का एक संभावित दवाब बन जाता है। अगर भारत उसकी मदद नहीं करता है तो उसके चीन के पाले में जाने और चीन के कर्जे में फंसने की संभावना बढ़ जाएगी। मालदीव, भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि मालदीव चीन के और करीब जाए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।