कैसे 'वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन' की कठपुतली बन गई ट्रूडो सरकार, अंदर तक भरे खालिस्तानी; कनाडाई निकाल रहे भड़ास
- पूर्व रक्षा मंत्री और वर्तमान आपातकालीन तैयारी मंत्री, हरजीत सज्जन का भी इस ऑर्गनाइजेशन से कनेक्शन है। मंत्री हरजीत सज्जन के पिता कुंदन सज्जन WSO के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थे।
कनाडा की राजनीति और सरकार में वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन (WSO) का प्रभाव लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। WSO के संस्थापक, ज्ञान सिंह संधू का नाम 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोटों की जांच के दौरान सामने आया था। यह घटना कनाडा के इतिहास की सबसे घातक आतंकी घटनाओं में से एक है, जिसमें 329 लोग मारे गए थे।
कनाडा के कैलगरी स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार मोचा बेजिरगन ने अपनी एक्स पोस्ट में बताया कि ज्ञान सिंह संधू को उस वक्त कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के "डिजास्टर टास्क फोर्स" ने पूछताछ के लिए बुलाया था। हालांकि, संधू पर कभी कोई आधिकारिक आरोप नहीं लगे, लेकिन उसके संगठन और इसके कुछ सदस्यों का नाम हमेशा विवादों में रहा। WSO ने इस घटना के संबंध में बार-बार कहा कि भारत सरकार पर दोष लगाया जाना चाहिए, जबकि सभी विशेषज्ञों का मानना है कि यह खालिस्तानी तत्वों का षड्यंत्र था।
एयर इंडिया बम विस्फोट और WSO की भूमिका
1985 के एयर इंडिया बम विस्फोटों का साजिशकर्ता माना जाने वाला तलविंदर सिंह परमार खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन का प्रमुख चेहरा था। यह माना जाता है कि उसने WSO के कुछ सदस्यों के साथ गहरे संबंध स्थापित किए थे। बेजिरगन के मुताबिक, परमार के भाई कुलवंत सिंह परमार ने खालसा क्रेडिट यूनियन की स्थापना की थी, जिसमें संधू भी सह-संस्थापक था। इस यूनियन का उद्देश्य सिख समुदाय के आर्थिक हितों को बढ़ावा देना था, लेकिन इसके संस्थापकों के खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े संबंध हमेशा विवादों में रहे।
खालसा क्रेडिट यूनियन के सह-संस्थापक प्रेम विनिंग को एक शक्तिशाली लिबरल पार्टी के "पावरब्रोकर" के रूप में जाना जाता है। उसके साथ-साथ रिपुदमन सिंह मलिक, जिन्हें 1985 के बम विस्फोटों के संबंध में गिरफ्तार किया गया था, का नाम भी आता है। मलिक की 2022 में हत्या कर दी गई थी, और इस घटना ने फिर से WSO और खालिस्तानी तत्वों के बीच संबंधों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
WSO का राजनीतिक प्रभाव
WSO, एक वैश्विक सिख संगठन होने के बावजूद, कनाडाई राजनीति में गहरा प्रभाव डालता है। इस संगठन का उद्देश्य कनाडा और अन्य पश्चिमी देशों में सिख समुदाय के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। लेकिन इसके कई सदस्य, विशेष रूप से इसके संस्थापक, खालिस्तान के समर्थन के लिए भी जाने जाते हैं। कनाडाई राजनीति में ट्रूडो की लिबरल पार्टी और एनडीपी गठबंधन सरकार और WSO के संबंध भी संदेह के घेरे में रहे हैं।
WSO के सदस्य विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं, और कई बार कनाडाई सरकार पर आरोप लगाए जाते हैं कि वह खालिस्तानी तत्वों के प्रति नरमी बरत रही है। खासतौर से, जब एयर इंडिया बम विस्फोटों के मामले में सार्वजनिक जांच हुई, तो WSO ने यह साबित करने की कोशिश की कि इस घटना के पीछे भारत सरकार का हाथ था, न कि खालिस्तानी सिखों का।
2022 में मलिक की हत्या और वर्तमान राजनीतिक माहौल
2022 में रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या ने कनाडा में खालिस्तानी समर्थक गुटों और उनके विरोधियों के बीच तनाव को फिर से बढ़ा दिया। मलिक को 2005 में एयर इंडिया बम विस्फोट के मामले में बरी कर दिया गया था, लेकिन उनकी बरी होने के बाद भी वह विवादों से घिरे रहा। मलिक की हत्या के पीछे की वजह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन इसने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों और उनकी राजनीतिक पकड़ पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
ट्रूडो-NDP सरकार और WSO के बीच संबंधों पर सवाल
WSO का कनाडा की ट्रूडो-एनडीपी सरकार के साथ संबंध भी चर्चा का विषय है। WSO के नेताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच करीबी संबंधों के चलते, कई लोगों का मानना है कि यह संगठन सरकार पर प्रभाव डालने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर रहा है। इसके अलावा, WSO ने कनाडा में खालिस्तानी विचारधारा के समर्थन को बनाए रखने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया है।
WSO ने हमेशा एयर इंडिया बम विस्फोटों के मामले में खालिस्तानी गुटों के बजाय भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है। यह स्थिति कनाडाई सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है, खासकर तब जब ट्रूडो सरकार खालिस्तानी समर्थकों के प्रति कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती दिखाई देती है।
अंदर तक भरे खालिस्तानी
पूर्व रक्षा मंत्री और वर्तमान आपातकालीन तैयारी मंत्री, हरजीत सज्जन का भी इस ऑर्गनाइजेशन से कनेक्शन है। मंत्री हरजीत सज्जन के पिता कुंदन सज्जन WSO के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य थे। WSO के अन्य कार्यकारी बोर्ड के सदस्यों के बच्चों की तरह, उनके बेटे को भी लिबरल सरकार में एक शक्तिशाली पद दिया गया, वो भी रक्षा मंत्री का। WSO के पूर्व अध्यक्ष और ज्ञान सिंह संधू के व्यापारिक साझेदार प्रेम विनिंग ने अपने बेटे मंजीत विनिंग को हरजीत सज्जन के अधीन वरिष्ठ विशेष सहायक के रूप में काम करने के लिए रखा था।
2015 के चुनावों के बाद, एडमोंटन के वर्तमान मेयर अमरजीत सोही को बुनियादी ढांचे का मंत्री नियुक्त किया गया। सोही को खालिस्तानी आतंकवादी होने के चलते भारत में जेल में बंद किया गया था। 1988 में 21 महीने जेल में बिताने के बाद, सोही को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया। प्रेम विनिंग ने अपने दूसरे बेटे गुरप्रीत विनिंग को सोही के अधीन विशेष सहायक के रूप में काम करने के लिए भेजा। हरजीत सज्जन के न केवल WSO से पारिवारिक संबंध हैं, बल्कि खुद ज्ञान सिंह संधू से भी उनके पारिवारिक संबंध हैं। WSO के संस्थापक अध्यक्ष ज्ञान सिंह संधू के बेटे हरजिंदर सिंह संधू की शादी हरजीत सज्जन की बहन अमरजीत कौर संधू नी सज्जन से हुई है।
पत्रकार का कहना है कि विश्व सिख संगठन कनाडा में सरकार के सभी स्तरों पर अत्यधिक प्रभावशाली है। इसका एक लक्ष्य भारत में खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र सिख राज्य की स्थापना को बढ़ावा देना है। कनाडा की राजनीति में इसके प्रभाव की ताकत की मीडिया द्वारा पूरी तरह से जांच नहीं की गई है, जिससे कनाडाई जनता उनकी शक्ति, राजनीतिक एजेंडे और परेशान करने वाले इतिहास से अनजान है।
कनाडा की राजनीति में वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन का प्रभाव और इसके खालिस्तानी विचारधारा से जुड़े तत्वों का इतिहास एक जटिल और विवादास्पद विषय है। ज्ञान सिंह संधू और अन्य प्रमुख खालिस्तानी समर्थकों की भूमिकाओं और उनके संबंधों ने कनाडाई राजनीति को प्रभावित किया है। इसके बावजूद, कनाडाई सरकार द्वारा इस पर कार्रवाई की कमी और WSO के साथ जुड़े विवादों ने जनता के बीच संदेह पैदा किया है। जब तक कनाडा सरकार इस मुद्दे पर पारदर्शिता नहीं दिखाती और सभी पहलुओं की निष्पक्ष जांच नहीं करती, तब तक WSO और खालिस्तानी तत्वों के प्रभाव का मुद्दा गंभीर बना रहेगा।
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