चीन ने सालों पहले 'चुराया' अमेरिका का 1.5 ट्रिलियन डॉलर वाला फाइटर जेट, अब मैदान में उतारने की तैयारी
- चीन जिस फायटर जेट को लॉन्च करने वाला है उसकी कहानी बेहद खतरनाक और हैरान करने वाली है। ऐसा कहा जाता है कि चीन का J-35A अमेरिकी विमान F-35 की कॉपी है।
चीन की सेना ने हाल ही में पुष्टि करते हुए कहा कि देश अपने सबसे नए स्टील्थ फाइटर J-35A को अगले हफ्ते झुहाई में होने वाले एयरशो चाइना 2024 में प्रदर्शित करेगा। यह एक हाई-प्रोफाइल अनावरण होगा, जो एशिया में अमेरिका की वायु शक्ति की बराबरी करने और अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने के बीजिंग के इरादों को दर्शाता है। यह एयरशो 12 से 17 नवंबर तक आयोजित होगा और इसमें चीन की सैन्य विमानन उपलब्धियों का प्रदर्शन किया जाएगा। चीन जिस फायटर जेट को लॉन्च करने वाला है उसकी कहानी बेहद खतरनाक और हैरान करने वाली है। ऐसा कहा जाता है कि चीन का J-35A अमेरिकी विमान F-35 की कॉपी है। लेकिन ये कॉपी चीन के हाथ कैसे लगी, इसके पीछे एक रोचक कहानी है।
2012 में, काइल विल्होइट नाम के एक साइबर विशेषज्ञ ने अपने बेसमेंट में एक नकली जल संयंत्र (वाटर प्लांट) बनाया और चीन के उस साइबर जासूसी ऑपरेशन को बेनकाब कर दिया, जिसने अमेरिका के अत्याधुनिक फाइटर जेट के डिजाइन को चुरा लिया था। आइए जानते हैं, इस घटना की पूरी कहानी।
कहानी की शुरुआत: बेसमेंट में नकली संयंत्र
यह कहानी एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ से शुरू होती है जिसने अपने घर के बेसमेंट में एक नकली जल संयंत्र बनाया। इस नकली संयंत्र में उसने कुछ असली उपकरण और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया ताकि इसे असली प्लांट की तरह दिखाया जा सके। उद्देश्य था कि साइबर हमलों को आकर्षित करना और उनका विश्लेषण करना। यह रणनीति सफल रही, और 48 घंटे के अंदर ही उसे चीन के हैकरों की गतिविधियों का पता चल गया। कुछ ही दिन में उत्तर कोरियाई सैन्य हैकर्स, रूसी रैनसमवेयर गिरोह और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय ट्रोल ने साइबर अटैक किया।
कोई व्यक्ति विधिपूर्वक उपकरण संबंधी दस्तावेज चुरा रहा था और उसे चीन के सर्वर पर भेज रहा था। पता लगाने के बाद, काइल को कुछ और बड़ी चीज मिली: यूनिट 61398। यह एक चीनी सैन्य हैकिंग डिवीजन थी जो 2006 से "ऑपरेशन शैडी आरएटी" चला रही थी। इनकी ट्रिक सिंपल थी। ये लोग सहकर्मी बनकर अपने टारगेट को ईमेल भेजते थे और जैसे ही वह व्यक्ति उस अटैचमेंट को खोलता उसका सारा डाटा हैक हो जाता।
2007 में, उन्हें जैकपॉट मिला: लॉकहीड मार्टिन का सर्वर। इसके अंदर अमेरिकी सैन्य विमानन का मुकुट रत्न छिपा था। इसमें F-35 तकनीकी योजनाएं थीं जो अब तक का सबसे एडवांस स्टील्थ फाइटर है। इसकी कीमत 1.5 ट्रिलियन डॉलर थी।
अमेरिका का फाइटर जेट प्रोजेक्ट और उसकी लागत
अमेरिका का यह फाइटर जेट प्रोजेक्ट, जिसे "F-35" के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्याधुनिक सैन्य परियोजना थी। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग $1.5 ट्रिलियन थी, और यह जेट तकनीकी रूप से बेहद एडवांस और गोपनीय था। इसकी डिजाइन और टेक्नोलॉजी केवल कुछ चुनिंदा वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों तक ही सीमित थी।
चीन का साइबर हमला: जासूसी कैसे हुई?
जब साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने अपने जल संयंत्र का नकली सेटअप चालू किया, तो 48 घंटों के भीतर एक चीनी हैकर समूह ने उसमें रुचि दिखानी शुरू कर दी। विशेषज्ञ ने पाया कि ये चीनी हैकर्स पानी के सप्लाई सिस्टम पर हमले का प्रयास कर रहे थे। इस जांच से उन्होंने यह भी पाया कि चीन की साइबर जासूसी गतिविधियां कितनी व्यापक और संगठित थीं।
चीन के हैकर्स ने अमेरिका के F-35 फाइटर जेट के डिजाइन और महत्वपूर्ण तकनीकी डेटा को चुराने के लिए बहुत जटिल रणनीतियों का सहारा लिया। उन्हें ना केवल जेट के बाहरी डिजाइन का पता चला, बल्कि उसकी एडवांस रडार और स्टेल्थ तकनीक की भी जानकारी मिली।
कैसे पकड़ में आए चीनी हैकर्स?
जब इस साइबर विशेषज्ञ ने अपने नकली जल संयंत्र पर चीन के हमले का विश्लेषण किया, तो उन्होंने पाया कि चीनी हैकर्स खास तकनीकों का प्रयोग कर रहे थे। उनके पास अमेरिका के रक्षा प्रणाली में सेंध लगाने का एक सुव्यवस्थित तरीका था। एक अन्य तकनीक थी "फिशिंग अटैक," जिसमें कर्मचारियों को नकली ईमेल भेजकर उनके कंप्यूटर तक पहुंच बनाई गई।
अमेरिका के सुरक्षा तंत्र पर असर
इस घटना ने अमेरिका को एक बड़ा झटका दिया और यह साबित कर दिया कि चीन साइबर जासूसी के जरिए अमेरिका के सुरक्षा तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे यह भी पता चला कि साइबर सुरक्षा में निवेश और अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक की आवश्यकता है। इस घटना ने दुनिया को साइबर सुरक्षा की गंभीरता और चुनौतियों से परिचित करवाया। यह भी स्पष्ट हो गया कि आज के युग में किसी भी देश की सुरक्षा केवल सैन्य ताकत पर निर्भर नहीं है, बल्कि साइबर सुरक्षा में भी महारत जरूरी है।
कहा जा रहा है कि चीन अब F-35 की कॉपी कर बनाया गया फाइटर जेट लॉन्च करने जा रहा है।
J-35A और J-20: चीन की दोहरी स्टील्थ फाइटर शक्ति
J-35A चीन के पहले से ही मौजूद J-20 स्टेल्थ फाइटर के पूरक के रूप में काम करेगा। यह देश की सैन्य शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास है। इस दोहरे स्टील्थ फाइटर शक्ति के साथ चीन दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा जिसके पास दो तरह के स्टेल्थ जेट्स होंगे। इससे पहले केवल अमेरिका के पास यह उपलब्धि थी। सरकारी ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, घटनाक्रम को बीजिंग के अमेरिका की स्टील्थ फाइटर क्षमता को बराबरी करने की योजना के एक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
J-35A का डिजाइन और विशेषताएं
J-35A का डिजाइन अमेरिका के F-35 से मेल खाता है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीनी विशेषज्ञ फू का कहना है कि इस मध्यम आकार के फाइटर जेट में टेलप्लेन विंग कॉन्फ़िगरेशन का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे सतह पर हमला करने की शक्तिशाली क्षमताएं प्रदान करता है। यह डिजाइन J-35A को मजबूत सतह हमले की क्षमता से लैस करता है, जो चीन के आक्रामक सैन्य दृष्टिकोण को और अधिक बढ़ावा देने में मदद करेगा।
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