आतंकी मेरे सामने बैठा और.., गाजा से छुड़ाई गई बंधक ने सुनाई खौफनाक आपबीती, UN पर साधा निशाना
- नवंबर 2023 में गाजा से हमास की कैद से छुड़ाई गई शेम ने कहा जब मैं वहां कैद में थी तो किसी भी मानवतावादी एजेंसी ने मुझे नहीं देखा, किसी ने भी मेरा इलाज नहीं किया, तब कहां था रेडक्रॉस? संयुक्त राष्ट्र ने मांग तक नहीं की कि उन्हें हम तक पहुंच मिले?
हमास की द्वारा गाजा में बंधक बनाए गए लोगों के प्रति एक पूर्व बंधक ने संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समूहों की आलोचना की है। गाजा से हमास के चंगुल से छुड़ाई गईं 22 वर्षीय मिया शेम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बाहर अपने एक संबोधन में कहा कि आज भी वहां गाजा में लोग हमास के बंधक हैं। लेकिन उनको बचाने के लिए न तो वहां कोई संयुक्त राष्ट्र है ना ही कोई और संस्था।
नवंबर 2023 में गाजा से हमास की कैद से छुड़ाई गई शेम ने कहा जब मैं वहां कैद में थी तो किसी भी मानवतावादी एजेंसी ने मुझे नहीं देखा, किसी ने भी मेरा इलाज नहीं किया, तब कहां था रेडक्रॉस? संयुक्त राष्ट्र ने मांग तक नहीं की कि उन्हें हम तक पहुंच मिले?
इजरायली- फ्रांसीसी दोहरी नागरिकता रखने वाली मिया ने गाजा में कैद में रहने के दौरान अपने अनुभवों को विस्तार से बताते हुए कहा कि कैद के दौरान मुझे करीब 50 दिनों तक हाथ में असहनीय दर्द हो रहा था, मुझे बिना किसी इलाज के एक अंधेरी जगह में रख दिया गया। उस पूरे वाकये के दौरान एक आतंकवादी मेरे सामने बैठकर मेरे सिर पर बंदूक रखे रहा। इतने दिनों में मेरा हाथ खराब हो गया लेकिन मानवता का झंडा उठाने वाली किसी भी एजेंसी ने मुझे देखा तक नहीं और ना ही किसी ने मेरा इलाज किया।
शेम ने यह भी खुलासा किया कि कैसे उसके अपहरण के बाद उसे एक फिलिस्तीनी नागरिक के घर में रखा गया था, जहां उसे एक वयस्क से उत्पीड़न और एक बच्चे से ताने सहने पड़े। चैनल 12 से बात करते हुए शेम ने कहा कि गाजा में कोई भी निर्दोष नहीं है वहां सभी लोग एक जैसे हैं।
न्यूयार्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत डैनी डेनन ने भी गाजा में बंधक बनाए गए इजरायली नागरिकों को गंभीरता से न लेने पर संयुक्त राष्ट्र की नैतिक विफलता की तीखी आलोचना की। इससे इतर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बयान जारी कर कहा कि हमास से इजरायली बंधकों को रिहा करने का आग्रह किया है, लेकिन इन मांगों को लागू करने के लिए कोई विशेष कार्रवाई या प्रतिबंध प्रस्तावित नहीं किया गया है।
रेडक्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने कहा कि एक तटस्थ मानवतावादी एजेंसी के रूप में वह एक मजबूत सार्वजनिक रुख नहीं अपना सकते। हालांकि एजेंसी ने इजरायली बंदियों से मिलने की इच्छा व्यक्त की है।
7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले के बाद इजरायली द्वारा किए गए जवाबी हमले में अब तक करीब 43 हजार नागरिकों की मौत हो चुकी है। एजेंसियों के मुताबिक इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इन हमलों के कारण गाजा की लगभग पूरी आबादी आंतरिक रूप से विस्थापित हो गई है। लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि इजरायली रॉकेट पड़ोस, अस्पतालों और यहां तक कि अस्थायी शरण देने वाले शिविरों को भी निशाना बना रहे हैं।
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