यहां से बाहर निकलो... विवादित द्वीप पर पहुंचा जापान का जहाज तो भड़का चीन; समुद्र में फिर तनातनी
- यह घटना 15-16 अक्टूबर के दौरान दीआयू द्वीप के आसपास के पानी में हुई थी। लियू ने जापान से इन जलक्षेत्रों में सभी अवैध गतिविधियों को तुरंत रोकने की अपील की है।
जापान और उसके पड़ोसी देश चीन में एक बार फिर से तनातनी का माहौल है। चीन के तटरक्षक बल ने गुरुवार को जानकारी देते हुए कहा है कि उन्होंने जापान की एक मछली पकड़ने वाली नाव को देश के क्षेत्रीय जल से बाहर जाने का आदेश दिया। वह "गैरकानूनी रूप से" पूर्वी चीन सागर के विवादित द्वीपों के आसपास के क्षेत्र में प्रवेश कर गई थी। इस द्वीप समूह को चीन दीआयू द्वीप और जापान सेनकाकू द्वीप कहता है।
चीन के तटरक्षक बल के प्रवक्ता लियू देजुन ने बयान जारी कर कहा कि उन्होंने "कानून के अनुसार आवश्यक नियंत्रण उपाय किए, जहाज को चेतावनी दी और उसे खदेड़ दिया"। यह घटना 15-16 अक्टूबर के दौरान दीआयू द्वीप के आसपास के पानी में हुई थी। लियू ने जापान से इन जलक्षेत्रों में सभी "अवैध गतिविधियों" को तुरंत रोकने की अपील की है।
इस घटना पर जापान की ओर से अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है। वैसे बता दें कि जापान ने इन छोटे, निर्जन द्वीपों पर चीन के दावे को खारिज कर दिया है। इन द्वीपों के नीचे संभावित रूप से समुद्री तेल और गैस भंडार होने की संभावना जताई जाती है। हाल के महीनों में जापान और चीन के बीच इन विवादित जलक्षेत्रों में कई टकराव हुए हैं।
अप्रैल में, चीनी तटरक्षक बल ने जापानी सांसदों के साथ भी ऐसा ही किया जब वे उनकी एक टीम इस क्षेत्र का निरीक्षण करने गई थी। सांसदों ने द्वीपों के पास तीन घंटे बिताए और ड्रोन का इस्तेमाल करके निरीक्षण किया, जिसे चीन ने "उकसावे और उल्लंघन" का कृत्य बताया। वहीं जून में, जापान ने चीन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। जापान ने कहा था कि तोपों जैसे हथियार ले जा रहे चीनी जहाज जापान द्वारा दावा किए गए जलक्षेत्र में प्रवेश कर गए थे।
इसके अलावा, चीन दक्षिण चीन सागर पर भी अपना कब्जा जताता आ रहा है। इसके चलते चीन की कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ झगड़ा होता रहता है। पिछले 18 महीनों में विशेष रूप से फिलीपीन नौसेना के साथ इस क्षेत्र में टकराव की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिससे यह आशंका पैदा हो रही है कि किसी भी गलत कदम से विवादित क्षेत्र में संघर्ष भड़क सकता है। 2016 में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि दक्षिण चीन सागर पर चीन का 90 प्रतिशत दावे का कोई अंतरराष्ट्रीय कानूनी आधार नहीं है।
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