सुअर के मांस से लेकर सब्जियों तक, चीन ने US उत्पादों पर लगाया टैरिफ; मैक्सिको-कनाडा का भी पलटवार
- कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की कि मंगलवार से 30 अरब कनाडाई डॉलर के अमेरिकी आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया गया है।

अमेरिका और उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। चीन ने मंगलवार को अमेरिकी उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की। ये शुल्क अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों के आयात पर शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के आदेश के बाद लागू किए गए हैं। चीन ने मंगलवार को चिकन, पोर्क (सुअर का मांस), सोया और बीफ (गोमांस) सहित प्रमुख अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात पर 15 प्रतिशत तक का अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। इसमें कहा गया है कि अमेरिका में उगाए गए चिकन, गेहूं, मक्का और कपास के आयात पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगेगा। ज्वार, सोयाबीन, सूअर का मांस, बीफ, समुद्री भोजन, फल, सब्जियां और डेयरी उत्पादों पर शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ाया जाएगा। चीन का टैरिफ 10 मार्च से लागू होगा। जबकि चीनी उत्पादों पर अमेरिकी शुल्क आज यानी 4 मार्च से ही लागू हो गया है। चीनी मंत्रालय ने इसे अमेरिका के "एकतरफा और अनुचित" टैरिफ वृद्धि का जवाब बताया।
कनाडा ने भी अपनाया सख्त रुख
दूसरी ओर, कनाडा ने भी अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की कि मंगलवार से 30 अरब कनाडाई डॉलर के अमेरिकी आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया गया है। इसके अलावा, कनाडा ने कुल 125 अरब कनाडाई डॉलर के आयात पर जवाबी शुल्क की योजना बनाई है। ट्रूडो ने कहा, "हम यह नहीं चाहते थे, लेकिन अमेरिकी टैरिफ के जवाब में हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा। अगर ये शुल्क वापस नहीं लिए गए, तो हम और कदम उठाएंगे।"
मैक्सिको के पास प्लान ABCD
मैक्सिको ने भी अमेरिका को करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है। मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबॉम ने कहा कि उनके पास "प्लान ए, बी और सी" तैयार हैं। मैक्सिको ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के साथ-साथ गैर-टैरिफ उपायों पर भी विचार शुरू कर दिया है। शेनबॉम ने इसे "अमेरिकी आर्थिक दबाव" के खिलाफ देश के हितों की रक्षा का कदम बताया।
अमेरिकी टैरिफ का यह फैसला 1 फरवरी से प्रभावी हुआ था, जिसके तहत कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत और चीन से आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया गया। ट्रंप ने इसे अवैध आव्रजन और फेंटेनाइल तस्करी रोकने के साथ-साथ घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने का जरिया बताया था। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ युद्ध से वैश्विक व्यापार पर गहरा असर पड़ सकता है और अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। यह व्यापारिक टकराव दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव को और गहरा कर रहा है। आने वाले दिनों में इन देशों के अगले कदम पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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