2 करोड़ लोगों की जान लेकर रुका था पहला विश्वयुद्ध, यूरोप कंगाल तो अमेरिका बन गया था महाशक्ति
- 11 नवंबर 1918 को ही पहला विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था। इस विश्वयुद्ध में 1 करोड़ से ज्यादा सैनिक मारे गए थे और 13 लाख आम नागरिकों की जान चली गई थी।
इतिहास में दो विश्वयुद्ध हो चुके हैं। आज भी विश्वयुद्ध की चर्चा होती है तो लाशों से पटी जमीन, भयंकर रक्तपात और गरीबों की बदहाली की तस्वीर अपने आप आंखों के आगे तैरने लगती है। 11 नवंबर 1918 का वह दिन बड़ा ही राहत देने वाला था जब पहले विश्वयुद्ध के थमने की घोषणा कर दी गई थी। 11 नवंबर को मित्र राष्ट्रों और जर्मनी के बीच युद्धविराम का ऐलान कर दिया गया था।
प्रथम विश्वयुद्ध की अंतिम लड़ाई मॉन्स का युद्ध माना जाता है। यहां मॉन्स कोंडे नहर पर कब्जे के लिए ब्रिटिश और जर्मन सैनिकों में युद्ध हुआ था। इसयुद्ध में करीब पांच हजार जर्मन और 1600 ब्रिटिश सैनिक मारे गए। कनाडाई सेना ने मोन्स, बेल्जियम पर कब्जा कर लिया था। पहले यह जर्मनी के अधिकार में था। इसके बाद युद्ध शुरू हो गया हालांकि सुबह 11 बजे तक ही युद्ध विराम की सहमति मिल गई। इसके बाद मोन्स में भी लड़ाई थम गई।
मारे गए थे 1.10 करोड़ सैनिक, लाखों आम नागरिकों की मौत
पहला विश्वयुद्ध 28 अगस्त को शुरू हुआ था और 52 सप्ताह तक चला था। इस विश्वयुद्ध में कम से कम 1.10 करोड़ सैनिक मारे गए थे। इसके अलावा लगभग 13 लाख आम लोगों की जान चली गई थी। इसके अलावा दुनियाभर में लाखों लोग भुखमरी और आर्थिक बदहाली से मर गए। भारत भले ही सीधे तौर पर इस विश्वयुद्ध का हिस्सा नहीं था लेकिन ब्रिटिश उपनिवेश होने के चलते यहां से बड़ी संख्या में सैनिकों ने हिस्सा लिया।
13 लाख भारतीयों ने लड़ा युद्ध
पहले विश्वयुद्ध में भारत के करीब 13 लाख सैनिकों ने हिस्सा लिया था। इनमें से 75 हजार के करीब सैनिकों की जान चली गई थी। इस विश्वयुद्ध की आहट लंबे समय से आ रही थी लेकिन एक घटना ने इसे हवा दे दी और विश्वयुद्ध शुरू हो गया। ऑस्ट्रिया हंगरी के राजकुमार आर्चड्यूक फ्रांसिस फर्डिनेंस अपनी पत्नी के साथ साराएवो गए थे। बोस्निया तब ऑस्ट्रिया हंगरी के अंतरगत आता था। साराएवो में राजकुमार के काफिले पर बम से हमला किया गया। इसके बाद सर्बिडा के 19 साल के शख्स ने दोनों को गोली मार दी।
ऑस्ट्रिया हंगरी ने सर्बिया पर हमला कर दिया। सर्बिया ने रूस की मदद ली। इसके बाद जर्मनी भी उसकी ओर आ गया। इसके बाद जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम और अमेरिका भी युद्ध में कूद गए। एक धड़ा था मित्र राष्ट्रों का जिसमें जापान, अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस थे। वहीं दूसरे गुट में ऑस्ट्रिया हंगरी, जर्मनी और ऑटोमन साम्राज्य था। जर्मनी ने 11 नवंबर 1918 को आत्मसमर्पण किया था।
चार सालों के दौरान इतनी तबाही हुई की यूरोप की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। भुखमरी पैल गई। जर्मनी की जनता कराह उठी। पूरी दुनिया का संतुलन बिगड़ गई। महंगाई चरम पर पहुंच गई। ऐसे में यूरोप के देशों को बहुत नुकसान हो गया। विश्वयुद्ध के चलते यूरोप के देश कंगाली के कगार पर पहुंच गए। वहीं इस विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका एक महाशक्ति बन गया। इसके बाद मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी से उपनिवेश छीन लिए। जर्मनी ने जमीन, आबादी और खनिज भंडार भी दिया। कुल मिलाकर इस विश्वयुद्ध का जिम्मेदार जर्मनी को ही माना गया। इस विश्वयुद्ध के बाद बेल्जियम, चेकोस्लोकोवाकिया और पोलैंड जैसे देशों का जन्म हुआ।
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