साबुन से मकान तक सबकुछ बेचती है पाकिस्तानी सेना, कैसे पूरे देश का बिजनेस ही कब्जा लिया
सेना को यह ताकत उसके आर्थिक साम्राज्य से भी मिलती है। पाकिस्तान की सेना भारत से एकदम उलट है, जहां एक राजनीतिक नेतृत्व के तहत सेना अनुशासित फौज की तरह काम करती है। वहीं पाकिस्तान में सेना तो इकॉनमी से लेकर राजनीति तक सब कुछ तय करती है।

सभी देशों के पास अपनी एक सेना है, लेकिन पाकिस्तान की सेना के पास एक मुल्क है। यह बात यूं ही नहीं कही जाती। पाकिस्तान के 78 सालों के इतिहास में ज्यादातर समय शासन सैन्य तानाशाहों का ही रहा है। इसके अलावा जब कभी चुनी हुई सरकार भी सत्ता में आई तो रिमोट से सेना ने ही सब कुछ कंट्रोल में रखा। हालत यह है कि पाकिस्तान की सेना ही तय करती है कि कौन पीएम होगा और कब तक रहेगा। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, आईएसआई चीफ जैसे पदों पर भी उसकी ही वीटो पावर चलती है। सेना को यह ताकत उसके आर्थिक साम्राज्य से भी मिलती है। पाकिस्तान की सेना भारत से एकदम उलट है, जहां एक राजनीतिक नेतृत्व के तहत सेना अनुशासित फौज की तरह काम करती है। वहीं पाकिस्तान में सेना तो इकॉनमी से लेकर राजनीति तक सब कुछ तय करती है। उसका आर्थिक साम्राज्य इतना बड़ा है कि साबुन से लेकर मकान तक सब कुछ उसकी कंपनियां बेचती हैं।
पाकिस्तानी सेना ने ऐसी कई सहायक कंपनियां स्थापित कर रखी हैं, जिनका बड़ा आर्थिक साम्राज्य है। इन कंपनियों में 4 प्रमुख हैं- फौजी फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट, शाहीन फाउंडेशन, बाहरिया फाउंडेशन। इन कंपनियों में हजारों लोग नौकरी करते हैं। इनके उत्पादन, मार्केटिंग और सेल तक का ढांचा ऐसा है कि पाकिस्तान की कोई भी एजेंसी इन पर निगरानी का अधिकार रखती। इन कंपनियों का अपने सेक्टर में एक तरह से एकछत्र राज है। पाकिस्तानी सेना की सबसे बड़ी और शुरुआती कंपनी फौजी फाउंडेशन है। पत्रकार आयशा सिद्दीकी ने लंबे शोध के बाद पाकिस्तानी सेना पर लिखी पुस्तक 'Military Inc.: Inside Pakistan's Military Economy' में विस्तार से बताया है कि कैसे आर्मी ने बिजनेस खड़ा किया है।
कितनी अमीर है फौजी फाउंडेशन कंपनी
वह लिखती हैं, 'फौजी फाउंडेशन की स्थापना 1954 में हुई थी। यह पाकिस्तानी सेना की कारोबार में पहली दस्तक थी। फिलहाल फौजी फाउंडेशन की संपत्तियों का कुल मूल्य 35 मिलियन डॉलर है। यही नहीं इसके पास 25 प्रोजेक्ट्स हैं और इनमें से 18 पर उसका पूरी तरह से नियंत्रण है। इसके अलावा बाकी 7 पर सहायक कंपनियां काम कर रही हैं।' फौजी फाउंडेशन से जुड़ी कंपनियों की पूरी लिस्ट ही उन्होंने दी है, जिनमें ये कंपनियां शामिल हैं- फाउंडेशन गैस, फौजी सिक्योरिटी सर्विसेज, फौजी शुगर मिल्स, फौजी कॉर्न कॉम्पलेक्स। इसके अलावा फाउंडेशन यूनिवर्सिटी भी इसका ही संस्थान है। यही नहीं फौजी सीमेंट कंपनी, फौजी गैस कंपनी और फौजी फर्टिलाइजर भी इसकी ही हैं। अकेले इस कंपनी में ही हजारों कर्मचारी शामिल हैं, जिनमें 7 हजार तो पूर्व सैनिक ही हैं।
कहां से पाकिस्तान की सेना को मिला यह मॉडल
आयशा सिद्दीकी लिखती हैं कि पाकिस्तान की सेना ने यह मॉडल इस्लामिक मुल्कों तुर्की और इंडोनेशिया से लिया है। इन देशों की सेनाएं भी बिजनेस डील्स करती हैं और कंपनियां चला रही हैं। इन कंपनियों के नामों से ही स्पष्ट है कि फूड प्रोसेसिंग से लेकर सिक्योरिटी तक का काम इनके हवाले है। ऐसी ही एक कंपनी आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट है, जिसके पास रियल एस्टेट, फाइनेंस, आर्मी प्रोजेक्ट्स समेत कई काम हैं। इस ग्रुप की कई सहायक कंपनियां हैं, जैसे- असकरी फार्म्स, असकरी वेलफेयर राइस मिल, असकरी वेलफेयर शुगर मिल, असकरी सीमेंट, आर्मी वेलफेयर शू प्रोजेक्ट, आर्मी वेलफेयर वूलेन मिल और आर्मी वेलफेयर होजरी यूनिट। इस तरह यह कंपनी कपड़े से लेकर राशन तक बेच रही है। इसका गठन 1971 में हुआ था, जब पाकिस्तान की सेना लगातार दो जंगों के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे थे।
शाहीन फाउंडेशन का कामकाज सिर्फ नेवी के पास
इन कंपनियों के अधिकारी आमतौर पर मौजूदा सेना के अफसर ही होते हैं, जबकि कर्मचारी के तौर पर पूर्व सैन्य कर्मी रखे जाते हैं। ऐसे ही शाहीन फाउंडेशन है, जिसका नेतृत्व पाकिस्तान के एयर चीफ करते हैं। इसकी वजह यह है कि इस कंपनी के हाथ में एयरपोर्ट आदि से जुड़ा कारोबार है। इससे जुड़ी कंपनियों में शाहीन एयर इंटरनेशनल, शाहीन एयर कार्गो, शाहीन एयरपोर्ट सर्विसेज, शाहीन एयरोट्रेडर्स और शाहीन इंश्योरेंस शामिल हैं। शाहीन पे टीवी, शाहीन एफएम रेडियो भी इसके द्वारा संचालित होते हैं। इस कंपनी की कुल संपदा 34 मिलियन डॉलर के पार है।
बिल्डर का भी काम करती है पाक सेना की कंपनी
एक और कंपनी बाहरिया फाउंडेशन है। इसमें मुख्य तौर पर नेवी से जुड़े लोग रहते हैं। इसका संचालन भी नेवी अधिकारी करते हैं। इस कंपनी की सहायक संस्थाओं में बाहरिया कंस्ट्रक्शंस, बाहरिया सी फिशिंग, बाहरिया पेंट्स जैसी फर्म्स शामिल हैं। इसके अलावा बाहरिया होल्डिंग और बाहरिया फार्मिंग जैसी कंपनियां भी इसका हिस्सा हैं। आयशा सिद्दीकी के मुताबिक बाहरिया फाउंडेशन की कमाई का मुख्य जरिया उसकी कंस्ट्रक्शन कंपनी है। पाकिस्तान के लाहौर, कराची, रावलपिंडी और पेशावर जैसे शहरों में यह कंपनी मकान और फ्लैट्स बनाकर बेचती है, जिसके लिए किसी भी अन्य देश में बिल्डर्स हैं या फिर सरकारी संस्थाएं हैं।
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