गाजा टेकओवर से लेकर टैरिफ तक, ट्रंप के पहले 100 दिनों में 10 सबसे विवादित फैसले
- गाजा में युद्धविराम पर अमेरिकी स्टैंड हो या फिर हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटियों को फंडिंग ब्लॉक करना और टैरिफ वॉर का ऐलान। ट्रंप ने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया को हिला दिया।

वाइट हाउस में दोबारा कदम रखते ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अंदाज में साफ कर दिया कि ये कार्यकाल पहले से भी ज़्यादा सख्त, तेज और विवादित होने वाला है। चाहे गाजा में युद्धविराम पर अमेरिकी स्टैंड हो या फिर हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटियों की फंडिंग ब्लॉक करना। ट्रंप प्रशासन के फैसले सिर्फ अमेरिका में, बल्कि पूरी दुनिया में बहस का कारण बने। प्रवासी विरोधी नीतियों से लेकर चीन के खिलाफ व्यापारिक जंग तक, इन 100 दिनों में ट्रंप ने ऐसा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा जिसमें उनकी मौजूदगी की गूंज न सुनाई दी हो।
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के 10 सबसे धमाकेदार और विवादास्पद फैसले, जिन्होंने वैश्विक राजनीति, कूटनीति और अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी।
पहले ही दिन 26 कार्यकारी आदेश
20 जनवरी को ट्रंप ने ओवल ऑफिस में वापसी के साथ ही रिकॉर्ड 26 आदेशों पर साइन किए। इसमें प्रमुख रूप से अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर किया। 6 जनवरी 2021 के कैपिटल हमले में शामिल लोगों को माफ कर दिया।
गाजा टेकओवर प्लान
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठक में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण लेकर उसे "मिडल ईस्ट की रिविएरा" बना सकता है। उन्होंने गाजा से फिलिस्तीनियों को "हटाने" की बात भी कही। उनकी इस बात की दुनिया भर में जबरदस्त आलोचना हुई।
एलन मस्क और DOGE मंत्रालय
12 फरवरी को ट्रंप ने एलन मस्क को सरकार में Department of Government Efficiency (DOGE) का नेतृत्व सौंपा। इस विभाग की कमान संभालते ही मस्क पर ट्रंप प्रशासन पर हावी होने के आरोप भी लगे। ट्रांसपेरेंसी और हितों के टकराव पर सवाल भी उठे। मस्क के साथ इस विभाग की जिम्मेदारी भारतवंशी और रिपब्लिकन नेता विवेक रामास्वामी को भी दी गई, लेकिन उन्होंने बाद में पद छोड़ दिया। अब रामास्वामी ओहियो राज्य के गवर्नर पद की रेस में हैं।
पुतिन से दोस्ती का नया अध्याय
वर्षों की दूरी खत्म करते हुए ट्रंप ने पुतिन से सीधी बातचीत शुरू की। 1कई अमेरिकी-रूसी मीटिंग्स में यूरोप को शामिल नहीं किया गया, जो नाटो सहयोगियों को चौंकाने वाला कदम था।
म्यूनिख में यूरोप को फटकार
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूरोपीय देशों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता रोकने, रक्षा खर्च न बढ़ाने और अप्रवासियों को लेकर उदार रवैये की कड़ी आलोचना की।
जेलेंस्की का अपमान
जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडोमिर जेलेंस्की अमेरिकी दौरे पर पहुंचे तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर काफी अपमान झेलना पड़ा। पहले सूट-बूट नहीं पहनने पर ट्रंप ने उनकी खिल्ली उड़ाई फिर कैमरे के सामने ट्रंप ने काफी सुनाया। नतीजन पहली बार ऐसा हुआ कि वाइट हाउस से बिना खाना खाए किसी नेता को वापस भेज दिया गया।
हार्वर्ड और कोलंबिया यूनिवर्सिटी पर ऐक्शन
ट्रंप प्रशासन ने इजरायल विरोधी प्रदर्शनों पर कार्रवाई के बहाने कोलंबिया यूनिवर्सिटी की $400 मिलियन फंडिंग काटी। इसके बाद हार्वर्ड की $2.2 बिलियन की फंडिंग फ्रीज़ कर दी और टैक्स छूट खत्म करने की धमकी दी। जवाब में हार्वर्ड ने भी ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
अवैध प्रवासियों का जबरन निर्वासन
एक पुराना युद्धकालीन कानून इस्तेमाल करके 200 से ज्यादा संदिग्धों को जबरन निर्वासित किया गया। यह मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। एक अमेरिकी सैन्य विमान 104 भारतीय प्रवासियों को लेकर पंजाब के अमृतसर में उतरा। यह पहली बार था जब अमेरिका ने किसी गैर-अमेरिकी देश में सैन्य विमान से निर्वासन किया।
ग्रीनलैंड पर नजर
ग्रीनलैंड पर अमेरिका की टेढ़ी नजर ट्रंप बोले, "हमें ग्रीनलैंड चाहिए, सुरक्षा के लिए ज़रूरी है"। उन्होंने बल प्रयोग पर भी जोर दिया। ट्रंप की इस बात से डेनमार्क भड़क गया और वाइस प्रेसिडेंट वेंस की यात्रा विवादों में घिरी।
टैरिफ वॉर की शुरुआत
2 अप्रैल को ट्रंप ने पूरी दुनिया पर भारी टैरिफ लगा दिए। 9 अप्रैल को आंशिक रियायत दी — ज्यादातर देशों पर 10% टैक्स, लेकिन चीन पर 245% टैक्स। इसके चलते ग्लोबल मार्केट में अफरातफरी मची। डॉलर गिरा और सोने की कीमतें आसमान तक पहुंची।
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