जर्मनी में सरकार बदली और इतिहास भी, दूसरे विश्व युद्ध के बाद इतना बड़ा उलटफेर
- फ्रीडरिक मैर्त्स के गठबंधन को जीत मिली है, लेकिन उनके सामने भी एक स्थिर सरकार चलाने का चैलेंज होगा। किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। इसलिए पूरे कार्यकाल में गठबंधन एक चुनौती रहेगी। मैर्त्स लंबे समय से विपक्षी नेता रहे हैं। उनकी पहचान एक कुशल वक्ता और राष्ट्रवादी विषयों को उठाने के लिए है।
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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सत्ता पर काबिज हैं तो वहीं हार्डलाइनर व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति हैं। इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी भी कंजरवेटिव नेता हैं। इस बीच जर्मनी में भी बड़ा उलटफेर हो गया है और अब सत्ता का संचालन कंजरवेटिव नेता फ्रीडरिक मैर्त्स करेंगे। उनके नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को करीबी मुकाबले में जीत मिली है। इसके साथ ही जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने हार स्वीकार कर ली है। इस पूरे नतीजे में सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी को बड़ी संख्या में सीटें मिली हैं। उसका वोट प्रतिशत भी दोगुना होते हुए 20.5 फीसदी हो गया है, जो 2021 में 10.3 पर्सेंट ही था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब Alternative for Germany को इतना बड़ा जनाधार मिला है।
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने यह कहते हुए नतीजों को स्वीकार कर लिया है कि हमारे लिए यह निराशाजनक है। फ्रीडरिक मैर्त्स के नेतृत्व वाले गठबंधन को 28.5 फीसदी वोट मिले हैं। एग्जिट पोल्स में भी ऐसे ही नतीजों का अनुमान जाहिर किया गया था। ओलाफ शोल्ज को मध्यमार्गी विचारधारा का नेता माना जाता है। उनकी पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स ने हार मान ली है। उसे महज 16 फीसदी वोट ही मिले हैं, जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे कम नंबर है। जर्मनी के निचले सदन बुंदेस्ताग में कुल 630 सदस्य होते हैं। इनके चुनाव में ध्रुवीकरण काफी ज्यादा दिखा है। यह चुनाव नवंबर 2024 में ओलाफ शोल्ज की सरकार गिरने के बाद तय हुआ था।
इस बार जर्मनी के चुनाव में आर्थिक ग्रोथ कम रहने, अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ने जैसे मुद्दे अहम रहे। इसके अलावा यूक्रेन और यूरोपियन यूनियन की एकता को लेकर भी मतदाताओं में चिंता थी। माना जाता है कि अवैध प्रवासियों और यूक्रेन के मामले को लेकर ही कंजरवेटिव पार्टी पर लोगों ने भऱोसा जताया है। फ्रीडरिक मैर्त्स के गठबंधन को जीत मिली है, लेकिन उनके सामने भी एक स्थिर सरकार चलाने का चैलेंज होगा। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। इसलिए पूरे कार्यकाल में गठबंधन एक चुनौती रहेगी। फ्रीडरिक मैर्त्स लंबे समय से विपक्षी नेता रहे हैं। उनकी पहचान एक कुशल वक्ता और राष्ट्रवादी विषयों को उठाने के लिए है।
पहली बार कट्टरपंथी दल को मिली है इतनी बड़ी जीत
दिलचस्प आंकड़ा तो यही है कि Alternative for Germany को इतनी बड़ी जीत मिली है, जिसे कट्टरपंथी दल माना जाता है। उसकी जीत ऐतिहासिक है। यह पार्टी हमेशा ही अवैध प्रवासियों का मुद्दा उठाती रही है और वहां की मुख्यधारा की राजनीति का अब हिस्सा बन गई है। हालांकि फ्रीडरिक मैर्त्स की राय है कि इस दल के साथ गठबंधन न किया जाए। ऐसे में देखना अहम होगा कि सत्ताधारी गठबंधन में किन दलों को हिस्सेदारी मिलती है।
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