रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती दोस्ती से चीन बैचेन, सता रहा ये डर; अमेरिकी अधिकारी का दावा
- अमेरिकी विदेश उपसचिव कर्ट कैम्पबेल ने एक कार्यक्रम में कहा कि चीन उत्तर कोरिया के रूस के साथ बढ़ते संबंधों को लेकर असहज महसूस कर रहा है। अमेरिकी अधिकारियों ने इसके पीछे की वजह का भी खुलासा किया है।
अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती नजदीकियों ने चीन को असहज कर दिया है। चीन खुद को खतरे में महसूस कर रहा है। यूक्रेन के खिलाफ भीषण जंग में उलझे रूस को पिछले कुछ समय से उत्तर कोरिया से भी मदद मिल रही है। उत्तर कोरिया न सिर्फ सैन्य और हथियार बल्कि अपने सैनिकों को भी यूक्रेन में उतार चुका है। उत्तर कोरिया के सैनिक रूस के लिए युद्ध लड़ रहे हैं। सोमवार को रूस और उत्तर कोरिया ने दोस्ती में एक और कदम बढ़ाते हुए रेल सेवा शुरू कर दी है। यह रेल सेवा चार साल बाद शुरू की जा रही है।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश उपसचिव कर्ट कैम्पबेल ने कहा है कि चीन उत्तर कोरिया के रूस के साथ संबंधों को लेकर असहज महसूस कर रहा है तथा प्योंगयांग और मास्को के बीच बढ़ते सहयोग को भी परेशान करने वाला पा रहा है। उसे चिंता है कि यूक्रेन में रूस और उत्तर कोरिया की सैन्य मिलीभगत से पूर्वी एशिया में दक्षिण कोरिया और जापान के साथ गठबंधनों का एक नेटवर्क बनाने के अमेरिकी अभियान को मदद मिलेगी, जिससे बीजिंग को अपने वर्चस्व खो जाने का खतरा है।
वाशिंगटन के थिंकटैंक, सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के एक हालिया सेमिनार में कैंपबेल ने कहा, "चीनी वार्ताकारों के लिए जो विषय लगातार असहज होता जा रहा है, वह है उत्तर कोरिया का रूस के साथ लगातार गहरा होता जुड़ाव। बीजिंग चिंतित हैं कि रूसी प्रोत्साहन के कारण उत्तर कोरिया ऐसी कार्रवाइयों या सैन्य कार्रवाइयों पर विचार कर सकता है, जो चीन के हित में नहीं होंगी।" उन्होंने कहा, "चीन ने रूस की सीधे तौर पर आलोचना नहीं की है, लेकिन हमारा मानना है कि प्योंगयांग और मॉस्को के बीच बढ़ता समन्वय उन्हें परेशान कर रहा है।"
क्या चीन और रूस के बीच मतभेद
लेकिन विश्लेषकों की इस बारे में अलग-अलग राय है कि क्या क्या चीन और रूस के बीच कोई बड़ा मतभेद है? पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए सीआईए के पूर्व सहायक निदेशक डेनिस वाइल्डर ने कहा, "बीजिंग की चुप्पी चौंका देने वाली है। चीनी मीडिया ने रूस और उत्तरी कोरिया के बीच रणनीतिक समझौते या सेना भेजने के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है। चीन कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तथ्य को कैसे अनदेखा कर सकता है कि उत्तर कोरिया अब यूक्रेन में लड़ रहा है?
उन्होंने कहा, "यदि रूस उत्तर कोरिया को परमाणु सहायता देने के रास्ते पर आगे बढ़ता है तो इससे पूर्वी एशिया में अमेरिकी गठबंधन को मजबूती मिलेगी, इससे राष्ट्रपति शी जिनपिंग बहुत ही मुश्किल स्थिति में होंगे।"
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