भारत से रिश्ते सुधारने में क्यों जुटा चीन; ट्रंप के आने से डर गए हैं जिनपिंग, रिपोर्ट में दावा
- भारत, अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर आई ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका के दबाव की वजह से चीन भारत के साथ अचानक अपने संबंध ठीक करने में जुटा है।
पिछले कुछ दिनों में भारत और चीन के संबंधों में कड़वाहट कम हुई है। LAC पर बनी सहमति के बाद दोनों देश अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि चीन और भारत के करीब आने की वजह अमेरिका है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ट्रंप के शासन में आने के बाद अमेरिकी दबाव को कम करने के प्रयास में भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। यह बातें मंगलवार को भारत केंद्रित अमेरिकी बिजनेस लीडर और रणनीतिक समूह के प्रमुख ने कही हैं। अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने कई ऐसे संकेत दिए थे जो चीन के लिए मुसीबत बन सकते हैं। ट्रंप ने इन घोषणाओं में चीन से आने वाले सामानों पर 60 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा ट्रंप ने हर अमेरिकी आयात पर 20 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा था।
अमेरिका-भारत रणनीतिक और पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने इस मामले पर बातचीत करते हुए कहा, "हम ट्रंप के आने का शुरुआती प्रभाव देख रहे हैं जिसने चीन पर भारत के साथ संबंध ठीक करने का दबाव बनाया है। इसलिए सीमा पर गश्त पर सहमति बनी है। डायरेक्ट फ्लाइट्स पर भी सहमति बनी है।" उन्होंने आगे कहा, "वे भारत आने वाले चीनी लोगों को अधिक वीजा भी जारी करेंगे। आप देख सकते हैं कि ट्रंप के आने से भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।"
गौरतलब है कि पिछले महीने भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग के लिए चीन के साथ समझौता किया है जो चार साल से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में एक बड़ी सफलता है। मुकेश अघी ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में बताया, "चीन को पहले से ही यह अनुमान था कि ट्रंप की वापसी हो रही है। कम से कम भारत के साथ साझेदारी या संभावित संबंधों को आसान बनाते हैं।"
मुकेश अघी ने कहा कि अमरीकी सरकार चीन से विनिर्माण को दूर ले जाने और अमेरिका में रोजगार पैदा करने की योजना बना रहा है। वहीं भारत ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति में सुरक्षित सोर्सिंग के लिए जगह देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, "ट्रम्प प्रशासन टैरिफ लगाने के प्रयास करेगी ताकि कंपनियों पर विनिर्माण को वापस अमेरिका में ले जाने का दबाव बनाया जा सके। यह रातों-रात नहीं होने वाला है। विनिर्माण को अमेरिका से बाहर ले जाने में लगभग 40 साल लग गए। हमारे सामने चुनौती यह है कि हमारे पास पर्याप्त कौशल नहीं हैं। हमारे पास उस दृष्टिकोण से हमारी मदद करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति नहीं है। इसलिए बदलाव में समय लगेगा।
मुकेश अघी ने यह भी दावा किया कि कॉरपोरेट अमेरिका चुनाव परिणामों से बहुत खुश है। उन्होंने कहा, "उन्हें लगता है कि ट्रंप समझते हैं कि व्यवसायों को चलाना और बढ़ाना कितना चुनौतीपूर्ण है। उम्मीद है कि वह कॉरपोरेट के लिए करों में कमी लाएंगे जिससे उन्हें और अधिक सक्षम बनने और खुद व्यवसाय को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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