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चीन का नया दांव, HQ-19 डिफेंस सिस्टम से देगा अमेरिका के थाड को टक्कर, भारत के लिए टेंशन

  • झुहाई के 15वें एयरोस्पेस शो में चीन अपनी नई वायु रक्षा प्रणाली एचक्यू-19 को दुनिया के सामने पेश करेगा। इसे अमेरिका के थाड और रूस के एस-400 जैसी उन्नत रक्षा प्रणालियों के बराबर बताया जा रहा है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 9 Nov 2024 03:27 PM
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चीन अपनी सैन्य ताकत के प्रदर्शन को लेकर अब और आक्रामक नजर आ रहा है। 12 नवंबर से शुरू होने वाले झुहाई के 15वें एयरोस्पेस शो में चीन अपनी नई वायु रक्षा प्रणाली एचक्यू-19 को दुनिया के सामने पेश करेगा। इसे अमेरिका के थाड और रूस के एस-400 जैसी उन्नत रक्षा प्रणालियों के बराबर बताया जा रहा है। इस आधुनिक प्रणाली की क्षमता ने अमेरिका और भारत जैसे देशों की चिंता बढ़ा दी है।

चीनी सरकारी मीडिया 'ग्लोबल टाइम्स' के अनुसार, एचक्यू-19 में बहु-स्तरीय हमलों को रोकने की ताकत है, जो युद्ध के हालात में इसे बेहद प्रभावी बना सकती है। इसमें अमेरिका के थाड सिस्टम जैसी 'हिट टू किल' तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को पहचान कर उसे बीच हवा में नष्ट करने में सक्षम है। यदि यह तकनीक उतनी ही कारगर साबित होती है जितना दावा किया जा रहा है, तो यह वैश्विक सुरक्षा के समीकरण को प्रभावित कर सकती है।

हाल ही में अमेरिका ने थाड को इजराइल में तैनात किया है ताकि पश्चिम एशिया में बढ़ते खतरे का सामना किया जा सके। इसके चलते इजराइल की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। दूसरी ओर, चीन की इस नई प्रणाली के चलते भारत के रक्षा विशेषज्ञों के बीच भी चर्चा गर्म हो गई है। भारतीय सेना ने ब्रह्मोस और अग्नि-5 जैसी शक्तिशाली मिसाइलें विकसित की हैं, जो चीन की बढ़ती ताकत के सामने एक ठोस जवाब मानी जाती हैं। हालांकि, एचक्यू-19 के आने से भारत को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह प्रणाली वास्तविक युद्ध में कितनी कारगर होगी, इसे लेकर संशय बना हुआ है क्योंकि अभी तक इसे किसी युद्ध में परखा नहीं गया है। इसके बावजूद, इस नई प्रणाली का आगमन भारत के लिए एक संभावित चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

झुहाई शो में चीन अपने पहले स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट जे-35ए का भी प्रदर्शन करेगा, जो आकार और तकनीक में अमेरिका के एफ-35 जैसा बताया जा रहा है। इसे देखते हुए पश्चिमी देशों में आशंका है कि चीन का यह कदम उसकी सैन्य क्षमता को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के उद्देश्य से है।

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