टैरिफ की धमकी से जागा कनाडा, कई देशों में बदले चुनावी समीकरण; विरोधियों की किस्मत चमका रहे ट्रंप
- ट्रंप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाले सरकारों और नेताओं को अप्रत्याशित रूप से अपनी स्थिति मजबूत होती दिख रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद उनकी नीतियों और बयानों ने वैश्विक मंच पर एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। ट्रंप ने जहां एक ओर कनाडा को 51वें अमेरिकी राज्य में बदलने की धमकी दी, वहीं मैक्सिको के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ दिया। इन नीतियों का सीधा असर इन देशों की आंतरिक राजनीति पर पड़ा है। ट्रंप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाली सरकारों और नेताओं को अप्रत्याशित रूप से अपनी स्थिति मजबूत होती दिख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की आक्रामक नीतियों, जैसे व्यापार युद्ध और टैरिफ की धमकी, ने इन नेताओं को अपने देशों में समर्थन जुटाने का मौका दिया है।
कनाडा में ट्रंप की धमकी से चुनावी समीकरण बदले
कनाडा में इस साल होने वाले आम चुनावों में सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ऐतिहासिक हार की ओर बढ़ रही थी। लेकिन ट्रंप की नीतियों के कारण कनाडा में राष्ट्रवाद की लहर चल पड़ी, जिससे लिबरल पार्टी की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल आया है। ट्रंप द्वारा कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की धमकी से कनाडाई जनता भड़क गई है। परिणामस्वरूप, अमेरिकी राष्ट्रगान को नेशनल हॉकी लीग (NHL) और नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (NBA) के खेलों में दर्शकों ने खुलेआम हूटिंग की। इसके अलावा, कई कनाडाई नागरिकों ने अमेरिका की यात्रा रद्द कर दी और अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करने लगे।
कनाडा की मुख्य विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलीवर को जनवरी में हुए एक सर्वेक्षण में 47% समर्थन मिल रहा था, जबकि लिबरल पार्टी 20% पर थी। अब ताजा सर्वे में यह अंतर घटकर महज 2% रह गया है। यह सब तब हुआ जब लिबरल पार्टी ने जस्टिन ट्रूडो को हटाकर पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी को नया नेता चुना। कनाडाई इतिहासकार रॉबर्ट बोथवेल ने कहा, "यह चौंकाने वाला है। लिबरल पार्टी जैसे पुनर्जीवित हो रही है और इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप हैं।"
पिछले कुछ हफ्तों में, ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों के खिलाफ व्यापारिक शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है। इसके जवाब में, कनाडा के अगले प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रंप को खुली चुनौती दी है। कार्नी हाल ही में जस्टिन ट्रूडो की जगह लिबरल पार्टी के नेता चुने गए हैं। उन्होंने कहा, "हम ट्रंप की धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे। कनाडा अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा और जवाबी टैरिफ बनाए रखेगा जब तक कि अमेरिका हमें सम्मान नहीं देता।" उनकी यह कठोर टिप्पणी कनाडाई जनता के बीच लोकप्रिय हो रही है, जिससे उनकी सरकार की स्थिति मजबूत हुई है।
मैक्सिको में राष्ट्रपति शींबाउम की बढ़ती लोकप्रियता
मैक्सिको में भी ट्रंप की नीतियों ने राजनीतिक माहौल बदल दिया है। ट्रंप द्वारा 25% नए टैरिफ लगाने की धमकी के बावजूद, मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शींबाउम ने संयम से काम लिया। उन्होंने ट्रंप के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाने के बजाय कूटनीतिक तरीका अपनाया, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई।
शींबाउम ने अमेरिका की नाराजगी दूर करने के लिए 10,000 सैनिकों को अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर तैनात किया, नशीले पदार्थों की तस्करी पर कड़ा रुख अपनाया और 29 कुख्यात अपराधियों को अमेरिका को सौंप दिया। उनकी इस रणनीति को मैक्सिकन जनता ने सराहा, और उनकी लोकप्रियता 80% से अधिक हो गई।
राजनीतिक विश्लेषक पामिरा तापिया का कहना है, "शींबाउम की रणनीति बेहद संतुलित है। उन्होंने ट्रंप के खिलाफ कड़ा बयानबाजी करने के बजाय शांत और व्यावहारिक रवैया अपनाया, जिससे उनकी स्थिति और मजबूत हुई है।"
यूरोप में भी असर, यूक्रेन संकट गहराया
इसी तरह, यूरोपीय संघ (ईयू) के 27 सदस्य देशों ने पिछले सप्ताह एक योजना को मंजूरी दी, जिसमें बजट प्रतिबंधों को ढीला करके सैन्य खर्च बढ़ाने की बात कही गई। यह कदम ट्रंप की नीतियों के खिलाफ एकजुटता दिखाने का प्रयास माना जा रहा है। हालांकि, सऊदी अरब के जेद्दा में युद्ध खत्म करने के लिए हुई बातचीत से यूरोपीय नेता बाहर रहे, जिससे उनकी स्थिति पर सवाल भी उठे हैं। ट्रंप ने यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ अमेरिका के समर्थन को कमजोर कर दिया है, जिससे यूरोप में चिंता बढ़ गई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने खुलकर यूक्रेन का समर्थन किया है। इतिहासकार रॉबर्ट बोथवेल के अनुसार, "ट्रंप की नीतियों के कारण नाटो एक तरह से ‘एंटी-ट्रंप एलायंस’ बनता जा रहा है। यूरोप को अब समझ आ रहा है कि अमेरिका उन्हें रूस के सामने अकेला छोड़ सकता है।"
ट्रंप की नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने वैश्विक राजनीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। जहां कनाडा और मैक्सिको में राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है, वहीं यूरोप में भी गहरी बेचैनी देखी जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में दुनिया किस तरह ट्रंप की नीतियों का सामना करती है। विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की आक्रामक रणनीति ने उनके विरोधियों को एकजुट होने और अपने देशों में समर्थन हासिल करने का मौका दिया है। कनाडा में ट्रंप की धमकियों ने जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को फिर से मजबूत किया है, जो पहले हार की कगार पर थी। मार्क कार्नी के नेतृत्व में पार्टी का समर्थन 30 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है।
हालांकि, ट्रंप के समर्थक इसे उनकी "मजबूत नेतृत्व" शैली का हिस्सा मानते हैं। उनका कहना है कि यह रुख अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देता है। लेकिन वैश्विक मंच पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप की यह रणनीति लंबे समय तक उनके विरोधियों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
फिलहाल, ट्रंप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाले नेता अपनी जनता के बीच नायक बनकर उभर रहे हैं, जबकि ट्रंप अपनी नीतियों को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। यह वैश्विक राजनीति में एक नया अध्याय शुरू करने का संकेत दे रहा है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।