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वीजा देने से इनकार कर रहा भारत, खालिस्तानियों में मची खलबली; कनाडाई रिपोर्ट में दावा

  • इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कनाडाई राजनीतिक विशेषज्ञ डेनियल बोर्डमैन ने खालिस्तानी समर्थकों की नाराजगी पर तंज कसते हुए इसे आश्चर्यजनक बताया।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, ओटावाWed, 11 Dec 2024 06:42 PM
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कनाडा के साथ चल रहे राजनयिक तनाव के बीच खालिस्तानियों ने भारत पर बड़ा आरोप लगाया है। एक कनाडाई समाचार रिपोर्ट ने दावा किया है कि भारत ने खालिस्तानी समर्थक नागरिकों को तब तक वीजा देने से इनकार कर दिया है, जब तक वे स्पष्ट रूप से अलगाववाद का समर्थन न छोड़ दें। रिपोर्ट में खालिस्तानी समर्थक सिख-कनाडाई नागरिकों के इंटरव्यू शामिल हैं। रिपोर्ट में भारत के इस कदम को "विदेशी हस्तक्षेप अभियान" बताया गया है। इसके मुताबिक, भारत ने खालिस्तानी समर्थकों को वीजा देने के लिए उनसे यह शपथ लेने को कहा कि वे भारत की संप्रभुता का सम्मान करेंगे और अलगाववाद का त्याग करेंगे।

रिपोर्ट में खालिस्तानी समर्थक की शिकायत

कनाडा के ग्लोबल न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी समर्थक नागरिकों ने दावा किया है कि वीजा पाने के लिए उन्हें एक पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा गया, जिसमें खालिस्तान अलगाववाद को त्यागने और भारत को एक लोकतांत्रिक और महान राष्ट्र के रूप में सम्मानित करने का संकल्प शामिल था।

गुरु नानक गुरुद्वारे के पूर्व अध्यक्ष बिक्रमजीत सिंह संधार ने दावा किया कि 2016 में परिवार के एक समारोह में शामिल होने के लिए उनके वीजा आवेदन को भारत ने अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि वैंकूवर स्थित भारतीय कांसुलर अधिकारियों ने उनसे खालिस्तान समर्थन छोड़ने और भारत के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करने वाले फॉर्म पर हस्ताक्षर करने को कहा।

हालांकि, संधार ने इस फॉर्म पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसी तरह के फॉर्म अन्य खालिस्तानी समर्थकों को भी दिए गए। जो लोग इस फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हुए, उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति दी गई। एक तरफ, ये खालिस्तानी अलगाववादी आक्रामक रूप से भारत के खिलाफ नफरत फैलाते हैं और वाणिज्य दूतावासों को निशाना बनाते हैं, लेकिन वीजा प्रतिबंधों पर रोना रोते हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कनाडाई राजनीतिक विशेषज्ञ डेनियल बोर्डमैन ने खालिस्तानी समर्थकों की नाराजगी पर तंज कसते हुए इसे "आश्चर्यजनक" बताया। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, "भारत का यह साहस कि उसने आतंकवादियों की प्रशंसा करने वाले व्यक्ति से वीजा देने से पहले आतंकवाद छोड़ने का फॉर्म भरवाया।"

एक अन्य विश्लेषक ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हर देश वीजा देने से पहले आवेदनकर्ताओं की पृष्ठभूमि की जांच करता है। उन्होंने कहा, "कनाडाई मीडिया को रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की सही जांच करनी चाहिए।" एक ट्विटर यूजर ने कनाडा के "दोहरे मापदंड" की आलोचना करते हुए कहा, "कनाडा भारतीय सैन्य कर्मियों से उनके सेवा स्थलों का विवरण मांगता है, लेकिन आतंकवादियों से कुछ भी पूछने की आवश्यकता नहीं समझता।"

भारत का तर्क और अंतरराष्ट्रीय मानदंड

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम वैश्विक मानदंडों के अनुरूप है। वीजा प्रक्रिया के दौरान हर देश अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को ध्यान में रखता है। अमेरिका जैसे देशों में भी वीजा प्रक्रिया कहीं अधिक कठोर मानी जाती है। यह विवाद कनाडा और भारत के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक जटिल बना सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक स्वाभाविक प्रयास है।

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