गिरफ्तारी का डर! ट्रंप से मिलने के लिए नेतन्याहू 400 KM ज्यादा घूमकर पहुंचे अमेरिका
- ट्रंप से टैरिफ मुद्दों पर राहत पाने के लिए नेतन्याहू आज अमेरिका पहुंच गए हैं। इजरायली मीडिया की रिपोर्ट है कि हंगरी से उड़ान भरने के बाद नेतन्याहू ने अमेरिका पहुंचने के लिए 400 किलोमीटर का एक्स्ट्रा हवाई सफर तय किया।
डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का असर दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है। भारत समेत एशिया और अमेरिका के शेयर बाजार धड़ाम हो चुके हैं। करीब 50 से अधिक देशों ने ट्रंप से मिलने की इच्छा जताई है। इसमें ट्रंप के दोस्त इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल हैं। ट्रंप से टैरिफ मुद्दों पर राहत पाने के लिए नेतन्याहू आज अमेरिका पहुंच गए हैं। वो कुछ घंटों में ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं। इजरायली मीडिया की रिपोर्ट है कि हंगरी से उड़ान भरने के बाद नेतन्याहू ने अमेरिका पहुंचने के लिए 400 किलोमीटर का एक्स्ट्रा हवाई सफर तय किया। इसके पीछे की वजह नेतन्याहू की गिरफ्तारी का डर बताया जा रहा है।
नेतन्याहू के विमान ने हंगरी से अमेरिका की उड़ान के दौरान सामान्य मार्ग से करीब 400 किलोमीटर लंबा रास्ता तय किया ताकि उन देशों के हवाई क्षेत्र से बचा जा सके जो अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के गिरफ्तारी वारंट को लागू कर सकते थे। यह जानकारी इज़रायली अखबार Haaretz की रिपोर्ट में सामने आई है। दरअसल, गाजा में युद्ध नरसंहार के दौरान उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। आईसीसी के नियमों को मानने वाले देश के यहां यात्रा करने पर नेतन्याहू की गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि हंगरी ने ऐसा नहीं किया।
नेतन्याहू को किन देशों से था डर
रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल को आशंका थी कि आयरलैंड, आइसलैंड और नीदरलैंड जैसे देश ICC द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के तहत कार्रवाई कर सकते हैं, इसलिए नेतन्याहू के विमान ने उनके हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से नजरअंदाज किया।
ट्रंप से अहम मुलाकात
नेतन्याहू वर्तमान में अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के लिए पहुंचे हैं। ट्रंप से इजरायल टैरिफ पर राहत की उम्मीद चाहता है। साथ ही गाजा युद्धविराम और ईरान संग बढ़ रहे तनाव पर भी चर्चा संभव है।
इससे पहले वह हंगरी के दौरे पर थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन से बातचीत की। ऑर्बन की सरकार ने नेतन्याहू के दौरे से पहले घोषणा की थी कि वह ICC की आधार संधि रोम स्टैच्युट से हट रही है, जो किसी भी आरोपी को ICC के सुपुर्द करने का दायित्व देती है।
हालांकि, हंगरी की ICC से औपचारिक वापसी में एक साल का समय लगेगा, लेकिन ऑर्बन सरकार ने स्पष्ट किया कि वह नेतन्याहू के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को मान्यता नहीं देगी। यह घटना अंतरराष्ट्रीय कानून और भू-राजनीतिक तनावों के बीच ICC की सीमित शक्ति और राष्ट्रों की राजनीतिक प्राथमिकताओं को उजागर करती है।
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