सीरिया के लाखों लोगों पर अब जर्मनी में मुसीबत, वापस जाने का मिला अल्टिमेटम
- Syria: सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद यूरोप में बसे सीरियाई शरणार्थियों के प्रति लोगों की भावनाएं बदलने लगी है। जर्मन लोगों का कहना है कि अब जबकि असद शासन खत्म हो चुका है तो इन्हें वापस अपने देश लौट जाना चाहिए।
सीरिया में विद्रोहियों ने राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सत्ता को खत्म कर दिया है। करीब 50 सालों से सीरिया पर राज कर रहा असद परिवार अब रूस में शरण ले चुका है। राजधानी दमिश्क पर विद्रोही गुटों का कब्जा हो चुका है। पूरी दुनिया में सीरियाई लोग इस घटना का जश्न मना रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही उनकी परेशानी बढ़ना भी शुरू हो गई है। गृहयुद्ध के समय अपने देश से भागकर यूरोप में शरण लेने वाले सीरियाई शरणार्थियों को अब यूरोप से वापस भेजने की आवाज उठने लगी है। कई यूरोपीय देशों ने सीरिया के नागरिकों को और शरण देने के आवेदनों पर रोक भी लगा दी है।
2011 में जब राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ था तो सीरियाई लोगों ने दुनिया भर के देशों में जाकर शरण लेना शुरू कर दिया था। इन लोगों के लिए पड़ोसी देश तुर्किए और लेबनान सबसे अच्छा विकल्प थे। इन देशों में आज सीरिया की सबसे ज्यादा आबादी रहती है। लेकिन अगर यूरोपीय देशों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा सीरियाई शरणार्थी आज जर्मनी में रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक आधिकारिक रूप से यह संख्या करीब 8 लाख है लेकिन कई ऐसे भी है, जिनके पास कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं है।
मार्केल ने कहा था कि जर्मनी संभाल लेगा
सीरियाई लोगों के जर्मनी में सबसे ज्यादा शरण लेने का कारण तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल की नीतियां थीं। सीरियाई शरणार्थियों को लेकर उन्होंने अपने बॉर्डर खोलते हुए अपना नारा दिया था कि जर्मनी संभाल लेगा। तब एंजेला के साथ सेल्फी लेकर चर्चा में आए एक सीरियाई शरणार्थी अनस मोदामानी ने न्यूज एजेंसी एपी से कहा कि आज मेरे पास जर्मन नागरिकता है और मैंने अपनी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी कर ली है। बर्लिन ही मेरा दूसरा घर है, मैं निश्चित तौर पर इसी देश में रहूंगा।
हालांकि अब जबकि 8 दिसंबर को सीरिया में असद सरकार गिर चुकी है। इससे जर्मन लोगों के मन में भी सीरियाई लोगों को लेकर भावना बदली है। जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी नेताओं ने सीरियाई लोगों से अपने घर लौटने का आह्वान करना शुरू कर दिया है। अपनी बात को मजबूत करने के लिए उन्होंने तर्क दिया है कि अब जबकि वहां पर असद शासन नहीं है और विद्रोही गुट अपनी सरकार चला रहे हैं तो फिर शरणार्थियों को अपने देश लौट जाना चाहिए। क्योंकि अब उनके भागने का कोई भी कारण नहीं बचा है।
हम प्लेन और पैसा देने को तैयार- जर्मन नेता
जर्मनी की दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी के नेता ऐलिस वीडेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जर्मनी में अगर कोई फ्री सीरिया का जश्न मनाता है तो उसे तुरंत ही सीरिया लौट जाना चाहिए क्योंकि अब उसके भागने का और शरण लेने का कारण खत्म हो चुका है। एक और नेता ने सीरिया लौटने वालों के लिए आर्थिक मदद की भी पेशकश की। उन्होंने कहा कि फ्री सीरिया का जश्न मनाने वाले लोगों को अब सीरिया चले जाना चाहिए। इन लोगों के पास अगर वहां जाने के पैसे नहीं हो तो हम उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं।
शरणार्थियों के समर्थन में भी लोग
हालांकि जर्मनी में कई लोग सीरियाई लोगों के समर्थन में भी खड़े हुए। एक नेता ने विरोधी नेताओं को आडे़ हाथों लेते हुए कहा कि जो भी लोग इस तरह सी बयानबाजी कर रहे हैं उन्होंने मिडल-ईस्ट की वास्तविकता से अपनी आंखें मूंद ली है। वह केवल अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। सीरिया में अभी क्या जमीनी हालात है इस पर कोई सही जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में शरणार्थियों को लेकर ऐसी बयानबाजी करना निंदनीय है।
पिछले 10 सालों में सीरियाई लोगों ने जर्मनी में काफी तरक्की की है। संयुक्त राष्ट्र के डाटा के अनुसार वर्तमान में करीब 5 हजार सीरियाई डॉक्टर जर्मनी में काम कर रहे हैं। इसके अलावा सीरियाई लोगों की रोजगार दर मूल निवासी जर्मन लोगों की तुलना में अधिक है।
राजनीतिक बहस के बीच जर्मन सरकार ने सीरियाई लोगों को शरण देने संबंधी निर्णयों पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी है। शरणार्थियों को वापस भेजने संबंधी नियमों पर सरकार की तरफ से अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। राइनलैंड-पैलेटिनेट की एकीकरण मंत्री कैथरीना बिंज ने कहा कि यह पूरी तरह से अवास्तविक है। यह वेमतलब की दहशत पैदा करने की कोशिश की जा रही है। ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला।
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