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Hindi Newsविदेश न्यूज़Another friend of India getting trapped in Chinas trap, will play a big role in BRI

चीन के जाल में फंसता जा रहा भारत का एक और दोस्त, BRI में निभाएगा बड़ी भूमिका

  • दुनियाभर के कई देशों को अपने BRI के कर्ज के जाल में फंसाने के बाद चीन की नजर अब अफ्रीका पर है। ऐसे में भारत का एक और मित्र मुल्क इसमें फंसने जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात भी अब चीन की इस परियोजना को आगे बढ़ाने जा रहा है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानThu, 12 Sep 2024 11:33 AM
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चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई में भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार मुल्क संयुक्त अरब अमीरात महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। चीन ने अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना के जरिए कई देशों को कर्ज के जाल में फंसा लिया है। इस विषय के जानकार लोगों की माने तो अन्य खाड़ी देशों की तरह यूएई भी इस प्रोजेक्ट की वजह से चीन के करीब जाता हुआ दिख रहा है, जिससे वह चीन के इस वैश्विक आर्थिक फुट प्रिंट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। यूएई समेत सभी खाड़ी देश अपनी अर्थव्यवस्था की कच्चे तेल से निर्भरता खत्म करना चाहते हैं। ऐसे में चीन की इस परियोजना में शामिल होने के लिए उनका आगे आना इसका भाग हो सकता है। यूएई पहले भी इस प्रोजेक्ट में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चीन की मदद कर चुका है वह एक बार फिर से इसमें निवेश का मन बना चुका है।

यूएई की न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएई अरब क्षेत्र की एक प्रभावशाली आर्थिक ताकत है। वह चीन के द्वारा 2013 में शुरू की गई बीआरआई परियोजना का यूएई पहले से ही सपोर्ट करता रहा है। बीआरआई को लेकर चलने वाली दो दिवसीय बैठक में यूएई अपनी सक्रिय भागीदारी की उम्मीद कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात ने बीआरआई के निवेश सहयोग फंड में 10 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे पूर्वी अफ्रीका में चीन के इस प्रोजेक्ट का सपोर्ट किया जा सके।

बीआरआई से जुड़ा यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब इन दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत को 40 साल पूरे हो चुके हैं। चीन यूएई का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यूएई भी अपनी बड़ी आर्थिक शक्ति का निवेश भविष्य के लिए शुरु किए जा रहे किसी प्रोजेक्ट में करना चाहता है। चीन और यूएई का 6 महीने का व्यापार करीब 50 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह दोनों ही देश अपनी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए बीआरआई प्रोजेक्ट में साथ काम कर रहे हैं। यूएई एक तरफ अमेरिका के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को बरकरार रखे हुए हैं दूसरी तरफ वह चीन को भी अपना मुख्य व्यापारिक साझेदार बना रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, जहां तक अफ्रीका की बात है तो इस महाद्वीप को पिछड़ा हुआ माना जाता है। इस महाद्वीप में चीन की दिलचस्पी जायज है क्योंकि यहां पर कई गरीब छोटे-छोटे देश है और उनका शासक वर्ग चीन की आर्थिक ताकत के सामने आसानी से झुक जाएगा। प्राकृतिक भंडारों से संपन्न इस महाद्वीप पर चीनी प्रभुत्व पूरी दुनिया के लिए एक संकट का विषय हो सकता है।

बीआरआई प्रोजेक्ट के जरिए चीन लगातार अमेरिका के वैश्विक आधिपत्य को चुनौती देता रहा है। यूएई अमेरिका के मित्र देशों का इसमें साझेदार के रूप में शामिल होना इसे पश्चिमीदेशों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक बनाते हैं। यूएई इस समय पर अमेरिका का अरब क्षेत्र में सबसे बड़ा साझेदार देश है, ऐसे में उसका अमेरिका से छिटक कर चीन के पाले में जाना वैश्विक व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की तरफ संकेत करता है।

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