भले ही मौत आ जाए… बांग्लादेश में हिन्दुओं की लड़ाई जारी रखूंगा, धमकियों के बीच चिन्मय दास के वकील
बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय के 74 वर्षीय वकील ने टेलीफोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मुझे पता है कि मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं, लेकिन इससे मैं रुकूंगा नहीं।
बांग्लादेश के एक प्रमुख वकील रवींद्र घोष ने सोमवार को दावा किया कि जब से उन्होंने जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास का प्रतिनिधित्व करने का निर्णय लिया है, तब से उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। हालांकि, उन्होंने संकल्प जताया कि वह न्याय और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार दास को इसलिए निशाना बना रही है, क्योंकि वह हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ मुखर रहे हैं और उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय को एकजुट कर रहे हैं।
बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय के 74 वर्षीय वकील ने टेलीफोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मुझे पता है कि मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा सकते हैं, लेकिन इससे मैं रुकूंगा नहीं। मैंने जीवन भर अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। मैंने मुसलमानों के लिए भी मुकदमे लड़े हैं और उन्हें न्याय दिलाने में मदद की है। मौत तो एक दिन आएगी ही, लेकिन मैं लड़ाई जारी रखूंगा।’’
घोष ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिंदू अल्पसंख्यकों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालते हुए दुख जताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी अत्याचार इस लड़ाई के ‘‘मूल सिद्धांतों’’ के उलट है, जो पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के नागरिकों के साथ असमान व्यवहार को समाप्त करने के लिए लड़ी गयी थी।
इलाज के लिए कोलकाता के निकट बैरकपुर आए घोष ने कहा, ‘‘जिस दिन से मैंने घोषणा की है कि मैं चिन्मय कृष्ण दास के लिए मुकदमा लड़ूंगा, मुझे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुझे नियमित रूप से धमकी भरे कॉल और संदेश आ रहे हैं, लेकिन यह मुझे अपना कर्तव्य निभाने से नहीं रोक पाएगा। मैं दास और अन्य हिंदुओं के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा।’’
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