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दाढ़ी न रखने पर सिक्योरिटी फोर्स से निकाले गए 280 लोग, तालिबान का एक और हैरतअंगेज फैसला

  • 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद नैतिकता मंत्रालय ने काबुल में महिला मंत्रालय परिसर को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित किया गया।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 Aug 2024 06:05 PM
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अफगानिस्तान में दाढ़ी न बढ़ाने की वजह से सिक्योरिटी फोर्स के 280 से अधिक सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही, तालिबानी सत्ता की ओर से अनैतिक कामों के आरोप में 13 हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इसमें बताया गया कि तालिबान के नौतिकता मंत्रालय की ओर से ये कदम उठाए गए हैं। बुराई की रोकथाम और सदाचार प्रसार मंत्रालय ने अपने सालाना रिपोर्ट में कुछ आंकड़े शेयर किए हैं। इसमें कहा गया कि हिरासत में लिए गए लोगों में से लगभग आधे को 24 घंटे बाद छोड़ दिया गया। हालांकि, इसमें यह नहीं बताया गया कि इन लोगों ने किस तरह के अपराध किए थे और उनमें कितनी महिलाएं व पुरुष हैं।

मंत्रालय में योजना और विधान के निदेशक मोहिबुल्लाह मोखलिस ने इसे लेकर संवाददाता सम्मेलन किया। इसमें उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने पिछले साल 21,328 संगीत वाद्ययंत्रों को नष्ट किया था। साथ ही, हजारों कंप्यूटर ऑपरेटरों को बाजारों में अनैतिक फिल्में बेचने से रोका गया था। उन्होंने कहा, 'सुरक्षा बल के 281 ऐसे सदस्यों की पहचान की गई जिन्होंने दाढ़ी नहीं रखी थी। ऐसे में इस्लामी कानून का पालन करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इस तरह के कुछ और भी ऐक्शन लिए गए हैं।'

महिला अधिकारों के हनन के कई मामले

2021 में तालिबान के कब्जे के बाद नैतिकता मंत्रालय ने काबुल में महिला मंत्रालय परिसर को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित किया गया। मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की ओर से इसकी कड़ी आलोचना की गई है। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन ने नैतिकता मंत्रालय के अधिकारियों को लेकर कुछ और भी दावे किए हैं। बताया गया कि इस्लामी पोशाक की उनकी व्याख्या को पूरा नहीं करने पर महिलाओं को कई घंटों हिरासत में लेने के मामले आए हैं। हालांकि, तालिबान हिरासत के आरोपों को निराधार बताता रहा है। इस पर कहा गया कि ये नियम इस्लामी कानून और अफगान रीति-रिवाजों पर आधारित हैं।  

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