हिमाचल में चौंका सकती है कांग्रेस? नतीजों से पहले मुख्यमंत्री ने क्यों माना टाइट है फाइट
हिमाचल प्रदेश में 37 साल का रिवाज तोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाएगी या 5 साल से इंतजार में बैठी कांग्रेस को जनता मौका देगी? इसका जवाब 8 दिसंबर को मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में 37 साल का रिवाज तोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाएगी या 5 साल से इंतजार में बैठी कांग्रेस को जनता मौका देगी? इस सवाल के सटीक जवाब के लिए आपको 8 दिसंबर तक का इंतजार करना पड़ेगा। फिलहाल दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं तो राजनीतिक विश्लेषक वोटिंग ट्रेंड के सहारे नतीजों का अनुमान लगा रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से भाजपा-कांग्रेस में नजदीकी मुकाबले की बात स्वीकार कर लिए जाने से अटकलों को और हवा मिल गई है। उनकी बात के मायने तलाशे जा रहे हैं।
क्या कहा सीएम ने?
हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग हुई। अब तक की सर्वाधिक वोटिंग ट्रेंड को लेकर चर्चा के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में माना कि भाजपा या कांग्रेस कोई भी एकतरफा जीत के दावे करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों दलों के बीच करीबी मुकाबला है। हालांकि, उन्होंने भरोसा जताया कि भाजपा एक बार फिर सरकार बनाएगी और कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव हार जाएंगे। कांग्रेस की ओर से 40-50 सीटें जीतने के दावे को लेकर जब सवाल किया गया तो ठाकुर ने कहा, ''मुझे लगता है कि हिमाचल में भाजपा और कांग्रेस के बीच नजदीकी मुकाबला होगा। ना हम इस स्थिति में हैं कि एकतरफा जीत की बात कह सकें ना कांग्रेस। उन्हें (कांग्रेस) इसे समझना होगा। वे बेवजह ऐसा कह रहे हैं।''
क्या चौंका सकती है कांग्रेस?
भाजपा को इस बार हिमाचल में उस रिवाज के टूट जाने की उम्मीद है जिसके तहत जनता 5 साल बाद सरकार की विदाई कर देती है और विपक्ष में बैठी पार्टी को मौका मिलता है। इसी तर्ज पर कांग्रेस और भाजपा 5-5 साल का शासन चलाती आ रही हैं। कांग्रेस में मजबूत नेता की कमी, पार्टी की गुटबाजी और अपेक्षाकृत सुस्त प्रचार अभियान की वजह से भाजपा को उम्मीद है कि इस सरकार सत्ता में लौट सकती है। हालांकि, जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने पुरानी पेंशन स्कीम, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को जोरशोर से उठाया उससे पार्टी को काफी फायदे की आस है। राजनीतिक विश्लेषक भी पिछले कई महीनों से कहते आ रहे हैं कि राज्य में सरकारी कर्मचारियों के बीच ओपीएस एक बड़ा मुद्दा है और भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब मुख्यमंत्री की ओर से भी कड़ी टक्कर की बात स्वीकार कर लिए जाने को कांग्रेस नेता अपने लिए 'उम्मीद' के तौर पर देख रहे हैं।
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