हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों को झटका, CM सुक्खू ने बंद कर दी हिमकेयर योजना; किसे नुकसान
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल से चल रही 'मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना' (हिमकेयर) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। आइये जानते हैं पूरा मामला क्या है।
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल से चल रही 'मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना' (हिमकेयर) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में इस योजना को बंद कर दिया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को भी इस योजना के दायरे से बाहर कर दिया है। सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। इन फैसलों को लेकर शनिवार को अधिसूचना जारी हुई है। अधिसूचना के अनुसार, 1 सितम्बर, 2024 से निजी अस्पतालों की हिमकेयर योजना से सम्बद्धता खत्म कर दी गई है और अब निजी अस्पतालों में हिमकेयर के कार्ड नहीं चलेंगे। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि सरकारी सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों को इस योजना से तत्काल प्रभाव से बाहर कर दिया गया है।
2018 में हुई थी हिमकेयर की शुरूआत
मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना-हिमकेयर की शुरूआत हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार के दौरान 2018 में की गई थी। इस योजना का उद्देश्य राज्य के निवासियों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था। इस योजना के तहत, पात्र परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया गया था, जिससे अस्पताल में भर्ती होने और चिकित्सा सेवाओं के लिए आर्थिक सहायता मिलती थी। योजना में सरकारी और निजी दोनों प्रकार के अस्पतालों को शामिल किया गया था ताकि मरीजों को अधिक विकल्प मिल सकें। योजना के तहत एक निर्धारित राशि तक के इलाज की सुविधा प्रदान की गई थी। इसमें गंभीर बीमारियों और सर्जरी को भी शामिल किया गया था। योजना का लाभ मुख्यतः गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को दिया गया था।
संदिग्ध लेन-देन का खुलासा
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने तीन दिन पहले कांगड़ा, शिमला, ऊना और कुल्लू जिलों में निजी अस्पतालों में ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। इस दौरान आयुष्मान व हिमकेयर योजनाओं से जुड़े रिकार्ड व दस्तावेज़ औऱ नकदी कब्जे में ली गई थी। ईडी ने दावा किया है कि निजी अस्पतालों में आयुष्मान व हिमकेयर योजनाओं को लेकर कई विसंगतियां सामने आई हैं। ईडी की जांच में सामने आया है कि निजी अस्पतालों ने ऐसे लोगों के नाम आयुष्मान व हिमकेयर कार्ड बनवा दिए गए थे, जो कि कभी भी इलाज के लिये निजी अस्पताल नहीं आये थे और उनके नाम से फर्जी बिल बनाकर रकम निकाली गई।
ईडी के मुताबिक जांच के दौरान 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों की पहचान की गई है, जिनमें उक्त आयुष्मान कार्ड लाभार्थियों को दिए गए उपचार के नाम पर सरकार से लगभग 40.68 लाख रुपये का दावा किया गया था। जब्त किए गए दस्तावेजों में 23 हज़ार मरीजों के लिए 21 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेने देन सामने आया है।
रिपोर्ट: यूके शर्मा
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