हिमाचल में देहरा और नालागढ़ सीटों पर कांग्रेस का कब्जा, BJP को मिली सिर्फ 1 सीट
हिमाचल की तीन विधानसभा सीटों देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ में हुए उपचुनाव में सताधारी कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा। कांग्रेस ने जहां दो सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं भाजपा को महज एक सीट पर विजय प्राप्त हुई।
हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ में हुए उपचुनाव में सताधारी कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा। कांग्रेस ने जहां दो सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं भाजपा को महज एक सीट पर विजय प्राप्त हुई। कांग्रेस को सबसे चर्चित देहरा सीट और नालागढ़ सीट पर जीत मिली। भाजपा ने अपनी परंपरागत सीट हमीरपुर में बेहद करीबी मतों से जीत हासिल की।
देहरा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश ठाकुर ने भाजपा के अपने निकतम प्रतिद्वंद्वी होशियार सिंह को 9399 मतों से हराया है। कमलेश ठाकुर मुख्यमंत्री सुक्खू की धर्मपत्नी हैं। इस सीट पर सबकी नजरें लगी हुई थीं। अपने पहले विस चुनाव में कमलेश ठाकुर विधायक बनने में कामयाब रहीं।
नालागढ़ में निर्दलीय ने बिगाड़ा भाजपा का खेल
नालागढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप बाबा ने अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी केएल ठाकुर को 8990 मतों के अंतर से हराया। कांग्रेस के हरदीप बाबा को 34608 मत मिले, जबकि भाजपा के केएल ठाकुर 25618 मत ले पाए। इस सीट से भाजपा से बागी हुए निर्दलीय प्रत्याशी हरप्रीत सैनी 13 हजार से ज्यादा मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। उन्होंने भाजपा का खेल बिगड़ दिया। हरप्रीत सैनी भाजपा की टिकट न मिलने से नाराज थे और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा।
हमीरपुर सीट पर हुए भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ। भाजपा के आशीष शर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा को 1571 मतों से पराजित किया। आशीष शर्मा को 27041 मत पड़े, वहीं डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा 25470 मत मिले। निर्दलीय प्रत्याशी नंद लाल को 74 मत मिले जबकि 198 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। इस जीत के साथ आशीष शर्मा लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हमीरपुर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 12 हजार मतों से जीत दर्ज की थी।
तीनों सीटों पर 10 जुलाई को मतदान हुआ था और 71 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। तीनों सीटों पर कुल 13 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई। छह प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।
और मजबूत हुई सुक्खू सरकार
विधानसभा उपचुनाव की दो सीटों पर जीत सतारूढ़ कांग्रेस के लिए बड़ी राहत है। दरअसल इसी साल फरवरी माह में कांग्रेस के छह तत्कालीन विधायकों ने बगावत करते हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया था। इससे राज्यसभा की एकमात्र सीट पर भाजपा की जीत हुई थी। इसके बाद कांग्रेस के छह विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था और कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर संकट आ गया था। हालांकि, बीते जून माह में छह सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को चार सीटें मिलने से सुक्खू सरकार सुरक्षित हो गई थी। अब तीन सीटों में दो पर मिली जीत से 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है, जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 28 है। सरकार बनाने के लिए 35 विधायक होना आवश्यक है। ऐसे में कांग्रेस के पास बहुमत से पांच विधायक ज्यादा हैं और कांग्रेस सरकार पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है। रोचक बात यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा के विधायकों की संख्या क्रमशः 40 और 25 थी। तीन सीटों पर निर्दलीय विधायक थे।
रिपोर्ट : यूके शर्मा
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।