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हिमाचल में राजपूत सीएम, ब्राह्मण डिप्टी सीएम; क्या है कांग्रेस की रणनीति

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के लिए सुखबीर सिंह सुक्खू का नाम फाइनल कर दिया है जो कि राजपूत हैं। वहीं मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाया गया है। इसके पीछे हिमाचल का वोटबैंक वजह है

Ankit Ojha लाइव हिंदुस्तान, शिमलाSat, 10 Dec 2022 08:49 PM
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हिमाचल प्रदेश में काफी उलझन के बाद कांग्रेस  आलाकमान ने साफ कर दिया है कि राज्य में पार्टी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू अगले मुख्यमंत्री होंगे। वहीं एक ब्राह्मण चेहरे मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।  हिमाचल प्रदेश में ज्यादातर मुख्यमंत्री की कुर्सी ठाकुरों के पास ही रही है। शांता कुमार इकलौते ब्राह्मण नेता थे जो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक दो बार पहुंचे थे। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में राजपूत और ब्राह्मण वोटर ही सबसे ज्यादा हैं। 

हिमाचल में क्या है जातीय समीकरण
विधानसभा चुनाव में  68 सीटों में से 17 सीटें एससी और एसटी के लिए रिजर्व थीं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही 28-28 ऐसे उम्मीदवार उतारे थे जो या तो ब्राह्मण थे या तो ठाकुर। राज्य में सबसे ज्यादा राजपूत और ब्राह्मण हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक 70 लाख की जनसंख्या में 51 फीसदी सवर्ण ही हैं। इसमें ब्राह्मण और राजपूत आते हैं। इस 51 फीसदी में  33 फीसदी आबादी राजपूतों की है और 18 फीसदी ब्राह्मण हैं।

मुख्यमंत्री क्यों नहीं बना ब्राह्मण चेहरा
राज्य में राजपूतों की आबादी ब्राह्मणों से करीब तीन गुनी ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस सवर्ण वर्ग को साधना तो चाहती है लेकिन आबादी के अनुपात को भी ध्यान में रखती है। खास बात यह भी है कि 2024 के चुनाव के लिहाज से भी राजपूत वोटों को ध्यान में रखना जरूरी था। दूसरी बात  यह है कि राज्य में प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग हो रही थी। प्रतिभा सिंह के समर्थक कांग्रेस दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और सुखबीर सिंह सुक्खू का विरोध कर रहे थे। हालांकि प्रतिभा सिंह और सुक्खू दोनों ही राजपूत हैं। ऐसे में विरोध इतना ज्यादा नहीं हुआ। अगर राजपूत चेहरा छोड़कर किसी  ब्राह्णण को सीएम बनाया जाता तो यह विरोध ज्यादा बढ़ सकता था। 

क्या है मुख्यमंत्रियों का इतिहास
1977 (तब की जनसंघ) और 1990 में शांता कुमार दो बार भाजपा के मुख्यमंत्री बने। लेकिन वह दोनों ही  बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 1990 में वह सीएम बने लेकिन ढाई साल के बाद ही बाबरी विध्वंस के बाद हिमाचल की सरकार बर्खास्त कर दी गई। 1993 में फिर से चुनाव हुआ और फिर कांग्रेस सत्ता में आ गई और वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। 1998 में एक बार फिर भाजपा ने पंडित सुखराम की पार्टी के सहारे सत्ता में वापसी की लेकिन मुख्यमंत्री राजपूत चेहरे प्रेम कुमार धूमल को बनाया गया। हिमाचल के रिवाज के मुताबिक 2003 में कांग्रेस फिर जीत गई और कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को फिर से मुख्यमंत्री बनाया। 

2008 में भाजपा ने भी राजपूत चेहरे प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री बनाया। 2012 में फिर वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। 2017 में प्रेम कुमार धूमल अपनी हीसीट पर चुनाव हार गए और इसके बाद जयराम ठाकुर के हिमाचल की बागडोर थमा दी गई। इस बार फिर से सुखबीर सिंह सुक्खू जो कि एक राजपूत चेहरा हैं हिमाचल के मुख्यमंत्री बन गए हैं। 2024 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी कांग्रेस अपना वोट बैंक साधे रहना चाहती है। ऐसे में आंतरिक विरोध, जातिगत समीकरण और 2024 के चुनाव तीनों बातों को ध्यान में रखत हुए कांग्रेस ने सीएम के तौर पर राजपूत नेता और डिप्टी सीएम के तौर पर ब्राह्मण चेहरे का चयन किया है।

 

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