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एक फीसदी से भी कम वोट का अंतर और 60% से ज्यादा सीटों पर असर, हिमाचल में भाजपा की हार की कहानी

भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की सीटें 60 फीसदी ज्यादा है, दिलचस्प पहलू है कि दोनों के बीच वोट प्रतिशत का अंतर एक फीसदी से भी कम है। कांग्रेस को 43.9 फीसदी वोट मिले हैं तो वहीं भाजपा को 43% मिले।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 Dec 2022 05:13 PM
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा की उम्मीदों के विपरीत आए हैं और वह 25 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है। वहीं कांग्रेस ने 68 सीटों वाली विधानसभा में 40 पर जीत हासिल की है। इस तरह भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की सीटें 60 फीसदी ज्यादा है, लेकिन दिलचस्प पहलू यह है कि दोनों पार्टियों के बीच वोट प्रतिशत का अंतर एक फीसदी से भी कम है। कांग्रेस को 43.9 फीसदी वोट मिले हैं तो वहीं भाजपा के खाते में 43 फीसदी वोट गए हैं। यानी एक फीसदी वोट भी भाजपा और पा जाती तो बाजी पलट सकती थी। कम आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में ज्यादातर सीटों पर हार और जीत का अंतर कम ही रहता है। साफ है कि एक फीसदी वोटों का असर कम अंतर से हार वाली सीटों पर दिखा है। 

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रामपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का उम्मीदवार 143 वोटों से ही पीछे है, जबकि श्री नैना देवी जी की सीट पर कांग्रेस का कैंडिडेट 145 से ही पीछे है। कुल मिलाकर ऐसी 7 सीटें हैं, जहां पर उम्मीदवारों के बीच जीत और हार का अंतर 500 वोटों से भी कम है। इसके अलावा 10 सीटें ऐसी हैं, जहां यह फर्क 1000 से भी कम है। यह अंतर ऐसी सीटों पर भाजपा को ज्यादा परेशान करने वाला है, जहां उसके बागी उम्मीदवार उतरे थे। करीब 21 सीटों पर भाजपा के बागी उम्मीदवार उतरे थे। इसका फर्क साफ दिखा है और कम अंतर से हार और जीत का फैसला होने वाली सीटों पर इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा है।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी स्वीकार किया है कि बागियों के चलते पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कई सीटों पर हमारे उम्मीदवार बेहद कम अंतर से पराजय की ओर हैं। बागियों के उतरने की वजह से यह नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रचंड बहुमत से जीतने की उम्मीद थी और तमाम कार्यकर्ता पार्टी के टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे। उन्हें मौका नहीं मिला तो वह निर्दलीय ही उतर गए। बता दें कि बंजार सीट से हितेश्वर सिंह, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्मा जैसे नेता जीत की ओर हैं। ये सभी नेता भाजपा से बागी होकर चुनाव में उतरे थे।  

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