हिमाचल में कांग्रेस के बाद अब BJP भी टेंशन में आई, 7 विधायकों के निष्कासन का डर; क्या है वजह
हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र के दौरान व्हिप का उल्लंघन करने पर 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद, अब भाजपा के 7 विधायकों को भी निष्कासन की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के बाद अब भाजपा भी टेंशन में आ गई है। हाल ही में खत्म हुए हिमाचल के बजट सत्र के दौरान व्हिप का उल्लंघन करने पर 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद, अब भाजपा के 7 विधायकों को भी निष्कासन की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। 28 फरवरी को सदन के अंदर हंगामा करने के आरोप में विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार बचाने के लिए उन्हें विधानसभा से बाहर निकालने की तैयारी की जा रही है। ठाकुर ने सोमवार को मीडिया से बात करते कहा कि विशेषाधिकार समिति का गठन सोमवार को ही किया गया था और इसकी बैठक भी उसी दिन हुई थी। उन्होंने कहा कि समिति ने विधायकों से 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 28 फरवरी को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने 15 बीजेपी विधायकों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया था। इस पर स्पीकर ने मार्शलों को निलंबित विधायकों को बाहर ले जाने का निर्देश दिया था।
इस बीच, राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि केंद्रीय पार्टी पर्यवेक्षकों के कहने पर उन्होंने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों से मुलाकात की। उन्होंने बागी विधायकों से उन कारणों को भी जानना चाहा कि राज्यसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग क्यों की थी।
मीडिया रिपोर्टों में विक्रमादित्य सिंह के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने बागियों की भावनाओं से केंद्रीय कांग्रेस नेताओं प्रियंका गांधी वाड्रा और केसी वेणुगोपाल को अवगत कराया, जिनसे उन्होंने वीकेंड पर मुलाकात की थी।
कांग्रेस को उम्मीद है कि बागी विधायक एक समझौते पर सहमत होंगे, जिससे उनकी अयोग्यता को कानूनी चुनौती देने से उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त हो सके। उम्मीद है कि विधायक हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
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