हिमाचल की आर्थिक हालत पहले से खराब, फिर वादे पूरे करने के लिए हजारों करोड़ कहां से लाएंगे सुक्खू
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भले ही सुक्खू को सीएम पद की कमान सौंप दी है लेकिन उनकी राह में कई चुनौतियां है। सबसे बड़ी चुनौती पहले से आर्थिक बदहाली के शिकार हिमाचल में रकम का जुगाड़ करने की है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़ है। हिमाचल प्रदेश में नए नेतृत्व को लेकर निर्णायक कदम उठाने के बावजूद राज्य में कांग्रेस पार्टी के लिए अभी काम खत्म नहीं हुआ है क्योंकि उसके सामने गुटबाजी को दूर रखने और महत्वाकांक्षी चुनावी वादों को पूरा करने की दोहरी चुनौती है। राज्य की वित्तीय स्थिति पहले से ही मुश्किल में है। हिमाचल पर 31 मार्च, 2002 तक लगभग 65,000 करोड़ रुपये के कर्ज था। ऐसे में जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए सुक्खू और उनकी टीम रकम कैसे जुटाती है, इस पर नजरें होंगी। कैग का कहना है कि राज्य सरकार ने कर्ज ली गई रकम का 74.11 प्रतिशत हिस्सा तो पिछले कर्ज के पुनर्भुगतान में किया जबकि 25.89 प्रतिशत रकम पूंजीगत व्यय में किया है।
वादे पूरे करने में दस हजार करोड़ सालाना होंगे खर्च
चुनावी वादों को पूरा करने के लिए सबसे कठिन कार्य राज्य सरकार के लिए वित्त जुटाना होगा। इन वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से लगभग दस हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे।
25,000 करोड़ रुपये कर्ज भी भरना जरूरी
राज्य विधानसभा में 2020-21 के लिए पेश की गई कैग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 39 प्रतिशत कर्ज (लगभग 25,000 करोड़ रुपये) अगले दो से पांच वर्षों में देय है।
पांच लाख नौकरियां देने में भी हजारों करोड़ होंगे खर्च
कांग्रेस द्वारा किए गए चुनावी वादों को लागू करना एक चुनौतीपूर्ण काम होने जा रहा है, जिसमें पहले साल में एक लाख नौकरियां और पांच साल की अवधि में कुल पांच लाख नौकरियां देना शामिल है।
हर महिला को 1500 रुपये देने पर सालाना 5,000 करोड़ रुपये खर्च
तत्काल कार्य विभिन्न सरकारी विभागों में राज्य की 62,000 रिक्तियों को भरना होगा, जिससे कर्मचारी लागत भी बढ़ेगी। राज्य की हर वयस्क महिला को 1500 रुपये देने के वादे पर सालाना 5,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने में सालाना 2,500 करोड़ होंगे खर्च
सूत्रों ने कहा कि इसके साथ ही हर घर को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के वादे पर सालाना 2,500 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा। वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के अनुसार, कुल प्राप्तियां और नकद व्यय क्रमशः 50,300.41 करोड़ रुपये और 51,364.76 करोड़ रुपये अनुमानित हैं।
राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपये
हिमाचल के लिए 2022-23 में राजस्व घाटा 3,903.49 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। पार्टी को राज्य की सत्ता में लाने में मदद करने वाला सबसे बड़े वादे पुरानी पेंशन योजना की बहाली भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
रोजगार देना भी बड़ी चुनौती
कांग्रेस ने सूबे में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विधायकों को विशेष बजट देने, बिजली परियोजनाओं से प्रभावित लोगों को प्रति परिवार एक नौकरी और बेरोजगारों को शहरी मनरेगा के तहत रोजगार देने का भी वादा किया गया है।
मंत्रिमंडल में सब चाहेंगे जगह
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री का रास्ता अभी कठिन है जिसमें पहली बाधा मंत्रिमंडल का गठन होगी। मंत्रिमंडल गठन के मामले में उन्हें पार्टी में प्रतिस्पर्धी समूहों के दबाव से निपटना होगा।
क्या सक्रिय होगा वीरभद्र खेमा
पार्टी के लिए सबसे पहली मुश्किल विभागों का आवंटन होगा क्योंकि दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थक उनके कथित प्रतिद्वंद्वी सुक्खू को शीर्ष पद पर काबिज किये जाने के बाद पहले से ही खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।
प्रतिभा सिंह को लेकर चलना होगा साथ
यह भी देखना होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह अपने खेमे को संतुष्ट करने के लिए वह क्या मोलभाव करती हैं। इस तरह की चर्चा है कि उन्होंने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण विभाग मांगा है। विक्रमादित्य सिंह ने शिमला ग्रामीण से जीत दर्ज की है।
पार्टी को साथ लेकर चलना होगा
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व विक्रमादित्य सिंह को राज्य मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री बनाने पर सहमत हो गया है। संगठनात्मक एकता की चुनौती के अलावा, राज्य में कांग्रेस सरकार को जमीनी स्तर पर काम करने और घोषणापत्र के वादों को पूरा करने की आवश्यकता होगी।
सुक्खू लाएंगे नया सिस्टम
हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भरोसा दिया है कि भले ही भाजपा ने सूबे में सत्ता गंवा दी हो लेकिन हिमाचल प्रदेश के विकास में कोई बाधा नहीं आएगी। वहीं सुक्खू ने शनिवार को कहा था कि महत्वपूर्ण फैसले लेते समय सभी हितधारकों को साथ लिया जाएगा। हम व्यवस्था को बदलना चाहते हैं। मुझे कुछ समय दें। हमें एक नई प्रणाली लाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। कांग्रेस ने सभी बुजुर्गों के लिए चार साल में एक बार मुफ्त तीर्थ यात्रा से लेकर हर विधानसभा क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित बजट तक कई महत्वाकांक्षी वादे किए थे।
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