हिमाचल में बिना बजट प्रावधान खर्च किए 623 करोड़, CAG ने उठाए गंभीर सवाल
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 7 लाख 87 हजार 379 रुपयों के खर्च के व्यय प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए।
हिमाचल प्रदेश सरकार के वर्ष 2021-22 के वित्तीय प्रबंधन पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने सवाल खड़े किए हैं। हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को नियंत्रक महालेखा परीक्षक की वित्तीय वर्ष 2021-22 की सदन में पेश रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। वितीय वर्ष 2021-22 के विनियोग लेखों में कैग ने 623 करोड़ 39 लाख 68 हजार 317 रुपए की रकम बगैर बजट प्रावधानों के खर्च करने का रिपोर्ट में उल्लेख किया है।
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 7 लाख 87 हजार 379 रुपयों के खर्च के व्यय प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक करोड़ 37 लाख 37 हजार 681 की गैर राशि के प्रमाण भी सरकार प्रस्तुत नहीं कर सकी। साथ ही एक करोड़ 5 लाख 2 हजार 876 के राजस्व खर्चों व 13 लाख 34 हजार 7 सौ 67 की राशि के पूंजिगत व्यय के प्रमाण भी सरकार प्रस्तुत नहीं कर सकी। इसी तरह वर्ष 2020-21 में 22 लाख 76 हजार 615 रुपयों के खर्च के व्यय प्रमाण सरकार प्रस्तुत नहीं कर सकी। ऐसे में कैग ने उक्त राशियों को सस्पेंस अकाउंट में डाल दिया है।
हिमाचल सरकार का राजस्व घाटा भी बढ़ा
केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजा राशि मिलना बंद होने के साथ-साथ पेैंशन खर्चों में बढ़ोत्तरी से हिमाचल सरकार का राजस्व घाटा सकल घेरलू उत्पाद का 5.84 फीसदी तक पहुंच गया है। राजस्व घाटे में बढ़ौतरी पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में सवाल खड़े किए हैं। साथ ही सरकार से बढ़ते राजस्व घाटे को एफ.आर.बी.एम कानून के प्रावधानों के मुताबिक ही रखने को कहा है।
चालू वित्त वर्ष में हिमाचल की राजस्व प्राप्तियां 37 हजार एक सौ 10 करोड़ 67 लाख रहने का अनुमान है। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व के तौर पर 11 हजार 2 सौ 68 करोड़ 14 लाख, गैर कर करीब 2 हजार 7 सौ 98 करोड़ केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की एवज 18 हजार 7 सौ 70 करोड़ 42 लाख तथा केंद्रीय अनुदान के तौर पर खजाने में 4 हजार 2 सौ 74 करोड़ 4 लाख आने का अनुमान है। केंद्र से जीएसटी मुआवजे के तौर पर राज्य को मिलने वाली राशि पिछले वर्ष जून महीने से मिलनी बंद हो गई है। नतीजतन चालू वित्त वर्ष में सरकार को मुआवजे के तौर पर मिलने वाली 5 सौ 58 करोड .37 लाख की कम राशि मिलेगी। साथ ही छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद पेंशनरों को एरियर के भुगतान पर सरकार को एक हजार 9 करोड़ 80 लाख का अतिरिक्त भुगतान करना होना।
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