छात्रवृत्ति घोटाला: ED का निजी शिक्षण संस्थानों पर शिकंजा; 2 गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज
हिमाचल प्रदेश में हुए बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो प्रमुख शिक्षण संस्थानों से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है। ईडी की टीम ने गुरुवार को पहले पंचकूला में छापेमारी की और फिर देर शाम शिमला में दबिश देकर दोनों को हिरासत में लिया।
हिमाचल प्रदेश में हुए बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो प्रमुख शिक्षण संस्थानों से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में कालाअंब स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के एमडी के भाई विकास बंसल और इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड फ्यूचर मैनेजमेंट ट्रेंड्स (आईटीएफटी) न्यू चंडीगढ़ के संचालक गुलशन शर्मा शामिल हैं।
ईडी की टीम ने गुरुवार को पहले पंचकूला में छापेमारी की और फिर देर शाम शिमला में दबिश देकर दोनों को हिरासत में लिया। पंचकूला के सेक्टर-16 स्थित कोठी नंबर 376 से विकास बंसल को गिरफ्तार किया गया, जबकि शिमला में गुलशन शर्मा की गिरफ्तारी हुई। दोनों को शिमला लाकर पूछताछ की जा रही है।
दोनों आरोपियों का बीती रात करीब 8 बजे दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में मेडिकल करवाया गया, जिसके बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। इस घोटाले से जुड़ी जांच उस समय और तेज हो गई, जब प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व सहायक निदेशक विशालदीप पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे। आरोप है कि विशालदीप ने इस मामले में निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों से 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। कहा गया कि रिश्वत देने पर गिरफ्तारी से बचा जा सकता था।
इन आरोपों के बाद सीबीआई ने जांच शुरू की और सबसे पहले विशालदीप के भाई को गिरफ्तार किया। छापेमारी के दौरान 55 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। विशालदीप कई दिनों तक सीबीआई से बचते रहे, लेकिन 18 दिन बाद उन्हें मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके अलावा इस घोटाले में एक और बड़ा खुलासा तब हुआ, जब सीबीआई ने अपने ही डीएसपी बलबीर सिंह को गिरफ्तार किया। बलबीर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत की रकम में 10 फीसदी कमीशन मांगी थी। उन्हें 20 जनवरी को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया और 21 जनवरी को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।
बता दें कि, हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2013 से 2019 के बीच हुए इस छात्रवृत्ति घोटाले में बड़े पैमाने पर हजारों विद्यार्थियों के हक की राशि विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा हड़प लिए जाने का आरोप है। इस घोटाले में करीब 181 करोड़ रुपये का गबन किया गया, जिसमें छात्रों की स्कॉलरशिप राशि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से निकाली गई।
रिपोर्ट : यूके शर्मा
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