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सुक्खू सरकार में सैलरी और पेंशन का 'सूखा', सरकारी कर्मचारियों के खाते में नहीं आए पैसे; आगे भी परेशानी

  • हिमाचल के वित्त विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि राजकोष घाटे में है। आने वाले समय में सैलरी और पेंशन की देरी हो सकती है। राजस्व की प्राप्ति के बाद ही कर्मचारियों को सैलरी या पेंशन दिया जा सकेगा।

Devesh Mishra लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाTue, 3 Sep 2024 07:10 AM
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हिमाचल प्रदेश में एक सितंबर को किसी भी सरकारी कर्मचारी के खाते में सैलरी नहीं आई। और तो और रिटायर सरकारी कर्मचारियों को पेंशन भी नहीं मिल पाई। सैलरी और पेंशन कब मिलेगी इसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसा हिमाचल के इतिहास में पहली बार हुआ है। दरअसल, 1 सितंबर को रविवार था। ऐसे में यह माना जा रहा था कि सैलरी/पेंशन दो तारीख को आ जाएगी। लेकिन उस दिन भी खाते में पैसे क्रेडिट नहीं हुए। 

2 लाख कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी

'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल दो लाख सरकारी कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के साथ-साथ नौकरशाही के बीच भी इस आर्थिक संकट को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। हिमाचल में पहले भी राजकोष घाटे में जा चुका है। लेकिन सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में कभी भी देरी नहीं हुई थी। बताया जा रहा है कि ऐसी देरी अब बार-बार रिपीट हो सकती है। ऐसे में सैलरी और पेंशन की देरी की वजह से कर्मचारियों को मुश्किलों का सामना सरकारी करना पड़ सकता है। यह परेशानी आगे भी बरकरार रह सकती है। 

सैलरी कब मिलेगी यह बताया नहीं जा सकता: अधिकारी

हिमाचल के वित्त विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि राजकोष घाटे में है। आने वाले समय में सैलरी और पेंशन की देरी हो सकती है। राजस्व की प्राप्ति के बाद ही कर्मचारियों को सैलरी या पेंशन दिया जा सकेगा। फिलहाल यह घाटे में चल रही है। अधिकारी ने यह भी कहा कि कर्मचारियों के खाते में पैसे कब तक पहुंचेंगे यह अभी बताया नहीं जा सकता है।

वित्तीय स्थिति पर चर्चा से इनकार करने पर भाजपा ने किया बहिर्गमन

हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव को अनुमति देने से विधानसभा अध्यक्ष के इनकार करने पर विपक्षी भाजपा ने सोमवार को सदन से बहिर्गमन किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के विपिन परमार ने यह मुद्दा उठाना चाहा, लेकिन अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसकी अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि इस मामले पर नियम 1:30 के तहत प्रश्नकाल के बाद चर्चा की जा सकती है।

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर भी बोलना चाहते थे, लेकिन शोरगुल के कारण कुछ भी सुनाई नहीं दिया। जैसे ही अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू किया, भाजपा सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने भाजपा पर राजनीतिक लाभ लेने के लिए हंगामा करने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी दल के सदस्य अंदरूनी कलह के कारण तनाव में हैं और सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं।

संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि भाजपा को लोगों की चिंता नहीं है और उन्होंने सदन से बहिर्गमन को विपक्ष का दिवालियापन करार दिया। सदन से बहिर्गमन के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि कोई वित्तीय संकट नहीं है, लेकिन कर्मचारियों को उनका वेतन नहीं मिला है और यह स्पष्ट नहीं है कि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनका वेतन और पेंशन कब मिलेगी।

(भाषा इनपुट के साथ) 

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