Himachal CM Interview : सियासी संकट खत्म किया, अब अर्थव्यवस्था सुधार रहे; हिमाचल के विकास को सीएम सुक्खू का क्या प्लान
हिमाचल के सीएम सुक्खू ने एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य में राजनीतिक संकट पैदा किया गया था, लेकिन हम 40 थे और आज फिर 40 हो गए हैं। हमने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि अब दिल्ली में कितनी भी ताकतवर सरकार हो वह हिमाचल में सरकार गिराने की कोशिश नहीं कर पाएगी।
हिमाचल प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, यह राज्य सुर्खियों में है। पहले राजनीतिक संकट और अब आर्थिक संकट को लेकर सरकार की दिल्ली तक चर्चा है। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कहते हैं कि राज्य को विरासत में खाली खजाना मिला था और पिछले एक साल में उन्होंने सूबे की अर्थव्यवस्ता को सुधारा है। इसी प्रकार ऐसी व्यवस्था की है कि कोई भी राज्य सरकार को गिराने की हिम्मत अब नहीं कर पाएगा। राज्य की आर्थिक-राजनीतिक हालात पर हिन्दुस्तान के राजनीतिक संपादक मदन जैड़ा ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।
● हिमाचल प्रदेश आर्थिक संकट का सामना क्यों कर रहा है ?
आर्थिक संकट पहले था। पिछले एक साल में हमने इसमें सुधार किया है तथा राज्य की अर्थव्यस्था 20 फीसदी सुधर चुकी है। अभी यह मामला इसलिए ज्यादा चर्चा में आ गया क्योंकि हमने वेतन और पेंशन भुगतान को विनियमित किया है। महीने की 5 तारीख को वेतन और 10 तारीख को पेंशन दी जाएगी। ऐसा करके हमने वेतन और पेंशन की राशि पर ब्याज बचा लिया है।
●हिमाचल का कर्ज 95 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। मुफ्त योजनाओं को वजह बात रही भाजपा।
85 हजार करोड़ रुपये का कर्ज और छठे वेतन आयोग को लागू करने के बाद 10 हजार करोड़ रुपये के कर्मचारियों का बकाया हमें भाजपा सरकार से विरासत में मिला था। यह कर्ज भाजपा सरकार की देन है। रही बात मुफ्त की योजनाओं की इसकी शुरुआत भाजपा सरकार कर गई थी। हम उसे सीमित कर रहे हैं।
●लेकिन पुरानी पेंशन योजना से भी तो खजाने को चपत लग रही है?
पुरानी पेंशन योजना जरुरी थी। 1500 लोगों को इसका लाभ भी मिल रहा है। इसलिए बहुत ज्यादा इसका असर नहीं है। हम कमा कर लोगों को दे रहे हैं, जबकि भाजपा सरकार में कर्ज लेकर दिया जा रहा था।
● प्राकृतिक आपदाएं बहुत आती हैं, इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?
यह बड़ी चुनौती है। पिछले साल आपदाओं की क्षति हुई थी। इसके लिए केंद्र से 9 हजार करोड़ मिलने थे जो आज तक नहीं मिले। केंद्र सरकार जानबूझकर राजनीतिक कारणों से हमारे सामने आर्थिक संकट पैदा करने की कोशिश कर रही है।
● आपने मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए केंद्र की राशि लौटा दी?
इसके प्रावधान जटिल थे। जैसे मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए राज्य सरकार को तीन रुपये यूनिट बिजली और एक रुपये की दर पर पानी देना होगा। हिमाचल प्रदेश गर्मियों में सात रुपये यूनिट बिजली खरीदता है, हम तीन रुपये में उसे कैसे उद्योग को दे सकते हैं। इसलिए यह तय किया कि मेडिकल डिवाइस पार्क बनाएंगे लेकिन अपने संसाधनों और अपनी शर्तों पर।
● हिमाचल को लेकर आपके दूरगामी लक्ष्य क्या हैं?
मेरा लक्ष्य है कि 2027 तक हिमाचल आत्मनिर्भर होगा और 2032 तक देश का सर्वाधिक समृद्ध राज्य बनेगा।
● आप रोजगार बढ़ाने के लिए क्या उपाय कर रहे हैं?
हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थितियों के मद्देनजर हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। सरकार दुग्ध संघ के जरिये गाय का दूध 45 और भैंस का 55 रुपये लीटर खरीद करती है। इसी प्रकार प्राकृतिक खेती को हम बढ़ावा दे रहे हैं। हमने प्राकृतिक खेती के जरिये पैदा गेहूं का एमएसपी 40 रुपये और मक्का का 30 रुपये किग्रा तय कर दिया है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालकों और किसानों की आय बढ़ेगी। प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन का एक मेगावाट का प्रोजेक्ट लगाने वाला पहला राज्य होगा।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, ''राजनीतिक संकट पैदा किया गया था। लेकिन हम 40 थे और आज फिर 40 हो गए हैं। हमने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि अब दिल्ली में कितनी भी ताकतवर सरकार हो वह हिमाचल में सरकार गिराने की कोशिश नहीं कर पाएगी। हमने स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित किए जाने वाले विधायकों के वेतन-भत्तों एवं पेंशन को हमेशा के लिए बंद कर दिया है। भले ही वह दोबारा चुनाव जीतकर क्यों न आ जाए।''
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