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हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! पांच तारीख को आएगी सैलरी, लेकिन पेंशन वालों की डेट अलग

  • सीएम सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार से राजस्व डिफिस्ट ग्रांट के तौर पर 520 करोड़ की धनराशि छह तारीख और केंद्रीय करों में 740 करोड़ का हिस्सा 10 तारीख को प्राप्त होता है।

Devesh Mishra लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाWed, 4 Sep 2024 09:05 AM
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हिमाचल प्रदेश में लाखों कर्मचारियों व पेंशनरों को सैलरी और पेंशन न मिलने का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस माह की चार तारीख को भी कर्मचारियों व पेंशनरों के बैंक खातों में पैसा नहीं आया। यह मसला बुधवार को प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में उठा। विपक्षी दल भाजपा ने इस मामले पर सतारूढ़ कांग्रेस सरकार की घेराबंदी करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और कर्मचारियों को वेतन के लिए तरसना पड़ रहा है। इस पर सदन के नेता व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में एक वक्तव्य रखते हुए घोषणा की है कि प्रदेश के कर्मचारियों को इस महीने वेतन पांच तारीख और पेंशनरों को 10 तारीख को दी जाएगी।

क्या बोले सीएम सुक्खू

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वेतन व पेंशन को पहली तारीख की बजाय 5 व 10 तारीख को दिए जाने की मुख्य वजह यह है कि राज्य सरकार खर्चे का प्राप्तियों के साथ मैपिंग करके वित्तिय संसाधनों का इस्तमेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार को वेतन व पेंशन की अदायगी हर माह पहली तारीख को करनी पड़ती है जबकि केंद्र सरकार से प्रदेश के हिस्से की रकम बाद में आती है।

केंद्र से इस महीने आएगा 1260 करोड़

सीएम सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार से राजस्व डिफिस्ट ग्रांट के तौर पर 520 करोड़ की धनराशि छह तारीख और केंद्रीय करों में 740 करोड़ का हिस्सा 10 तारीख को प्राप्त होता है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कर्मचारियों को पहली तारीख को वेतन व पेंशन की अदायगी के लिए प्रदेश सरकार को बाजार से लगभग साढ़े सात फीसदी की दर से अग्रिम ऋण उठाकर अनावश्यक तौर पर ब्याज का बोझ वहन करना पड़ रहा है। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार को पहली तारीख को वेतन व पेंशन देने के लिए कर्ज उठाना पड़ता है, जिस पर हर माह तीन करोड़ का ब्याज देना पड़ता है। इस तरह सरकार द्वारा खर्चे की रिसिपट के साथ मैपिंग करके हर महीने लगभग तीन करोड़ रुपए की राशि बचाई जाएगी।

हर माह वेतन-पेंशन पर 2000 करोड़ का खर्चा

मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि प्रदेश में हर माह कर्मचारियों के वेतन पर 1200 करोड़ और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होते हैं। इस तरह दो हजार करोड़ रुपए प्रति माह का खर्चा वेतन-पेंशन पर आता है। उन्होंने यह भी कहा कि वेतन व पेंशन को लेकर यह व्यवस्था इस महीने के लिए की गई है और आगामी माह में वेतन-पेंशन पहली तारीख को देने का प्रयास किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी बोर्डाें व निगमों पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी। वे अपने संसाधनों का आंकलन करके वेतन व पेंशन भुगतान पर खुद निर्णय ले सकते हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी खुलासा किया कि केंद्र सरकार से प्राप्त अनुमति के आधार पर बाजार से ऋण उठाने के लिए 2317 करोड़ रुपए की बकाया राशि बची है, जिसा राज्य सरकार को आगामी चार महीनों यानी सितंबर से दिसंबर तक विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करना पडेगा।

पूर्व भाजपा सरकार ने बिगाड़ा प्रदेश का वितीय संतुलन: सुक्खू

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में इन वितीय परिस्थितियों के लिए पूर्व भाजपा सरकार जिम्मेदार है। पिछली सरकार ने चुनाव से ठीक पहले मुफ्त रेबड़ियां बांटी, जिस वजह से प्रदेश का वितीय संतुलन बिगड़ गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार वितीय अनुशासन की दिशा में काम कर रही है और आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए और कड़े फैसले लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से हिमाचल प्रदेश वर्ष 2026 में आत्मनिर्भर होगा और वर्ष 2032 में देश का अमीर राज्य बनेगा।

रिपोर्ट: यूके शर्मा

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