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कांग्रेस पर छाया 'अमान्य मत' का साया, हरियाणा में लाल परिवार की तिकड़ी पूरी करेगी भाजपा?

Haryana Invalid Vote Issue: साल 2004 में खुद कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी को खुद भी राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। उस दौरान एक कांग्रेस का विधायक का वोट अमान्य घोषित हो गया था।

Nisarg Dixit लाइव हिंदुस्तान, चंडीगढ़Mon, 25 July 2022 09:48 AM
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हरियाणा कांग्रेस में राज्यसभा चुनाव के दौरान अवैध वोट का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस दौरान पार्टी के नेताओं के निशाने पर किरण चौधरी हैं। ऐसे में राज्य सरकार में मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की तरफ से की गई चौधरी की तारीफों ने अटकलें बढ़ा दी हैं। उनके अलावा कांग्रेस कुलदीप बिश्नोई को लेकर भी बड़े सवालों का सामना कर रही है। प्रदेश कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में अजय माकन की हार का ठीकरा इन नेताओं पर फोड़ रहे हैं।

निर्दलीय विधायक चौटाला ने कहा, 'किरण चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू हैं। वह एक प्रसिद्ध परिवार से हैं और किसी की गुलाम नहीं हैं।' उन्होंने यह भी कहा, 'वह जानीमानी नेत्री हैं और खुद के दम पर जीती हैंठ।' इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विधायक के इस बयान को चौधरी को भाजपा के प्रति लुभाने के तौर पर देखा जा रहा हैं।

खास बात है कि हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा  आदमपुर विधायक बिश्नोई के साथ चौधरी को भी माकन की हार का जिम्मेदार मान रहा है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी समर्थित कार्तिकेय शर्मा को वोट देने के लिए रणजीत चौटाला ने ही बिश्नोई को मनाया था।

तीन 'लाल' वाला एंगल
सालों तक हरियाणा की राजनीति को तीन 'लाल' से जाना गया। दरअसल इनमें तीन नाम देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल का नाम शामि है। अब देवी लाल के बेटे चौटाला खुद कैबिनेट का हिस्सा हैं। उनके भतीजे और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जेजेपी पहले भी भाजपा के साथ गठबंधन में है। अब खबरें आती रही हैं कि पूर्व सीएम भजन लाल के बेटे बिश्नोई की भाजपा के साथ चर्चाएं जारी हैं।

ऐसे में भाजपा खेमे से फिलहाल बंसी लाल का परिवार ही दूर है। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि चौधरी को दल बदल के लिए तैयार कर चौटाला इस खास कमी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

किरण चौधरी ने किया अमान्य वोट से इनकार
राज्यसभा में माकन की हार को लेकर चौधरी ने भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि वह वोट डालना जानती हैं और 6 राज्यसभा चुनावों में शामिल रह चुकी हैं। खास बात है कि साल 2004 में खुद कांग्रेस नेत्री को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। उस दौरान एक कांग्रेस का विधायक का वोट अमान्य घोषित हो गया था।

सोनिया गांधी की करीबी होने का मिलेगा फायदा
रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया है कि चौधरी पार्टी में ही आरोपों का सामना कर सकती हैं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि चौधरी हरियाणा कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है। ऐसे में यह बात उनके पक्ष में जा सकती है। साल 2008 में हुड्डा ने चौधरी से पर्यावरण विभाग ले लिया था, लेकिन 24 घंटों से भी कम समय में उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा था।

इसके अलावा उन्हें हुड्डा के विरोधियों का समर्थन मिल सकता है, जो वरिष्ठ कांग्रेस नेता पर बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें दरकिनार करने के आरोप लगा रहे हैं। ये नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह और अशोक तंवर जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने का जिम्मेदार भी हुड्डा को बताते हैं।

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