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Hindi Newsहरियाणा न्यूज़Farmers of Punjab were stopped from coming to Delhi Haryana government sought bravery medals for 6 policemen

पंजाब के किसानों को दिल्ली आने से रोका था, हरियाणा सरकार ने 6 पुलिसकर्मियों के लिए मांगी वीरता पदक

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया था। हरियाणा सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, चंडीगढ़।Wed, 17 July 2024 01:10 AM
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इसी साल फरवरी महीने में 'दिल्ली चलो' आंदोलन के जरिए पंजाब के किसान दिल्ली आने की तैयारी में थे। हालांकि, हरियाणा पुलिस के अधिकारियों और जवानों ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया। अब हरियाणा सरकार ने इसके लिए तीन आईपीएस अधिकारियों और तीन एचपीएस (हरियाणा पुलिस सेवा) अधिकारियों के लिए पुलिस पदक की सिफारिश की है। आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला और जींद में क्रमशः शंभू और खनौरी सीमाओं पर बैरिकेड्स लगाए थे। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में अपने मार्च की घोषणा की थी। किसान 13 फरवरी से पंजाब की ओर दो सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया था। हरियाणा सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 22 जुलाई को इस याचिका पर सुनवाई होनी है।

हरियाणा सरकार ने 2 जुलाई को केंद्र को भेजी गई सिफारिशों में आईपीएस अधिकारियों सिबाश कबीराज (आईजीपी, करनाल), जशनदीप सिंह रंधावा (एसपी, कुरुक्षेत्र) और सुमित कुमार (एसपी, जींद) को वीरता पदक देने की वकालत की है। तीन एचपीएस अधिकारियों में नरेंद्र सिंह, राम कुमार और अमित भाटिया (सभी डीएसपी रैंक) शामिल हैं। सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर से उनकी असाधारण बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के लिए सिफारिशें प्राप्त करने के बाद नाम भेजे।

फरवरी में जब किसानों ने आंदोलन की घोषणा की थी, तब कबीरराज को अंबाला रेंज का आईजीपी बनाया गया था। रंधावा अंबाला के एसपी थे। कबीरराज अभी भी अंबाला पुलिस रेंज की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जबकि रंधावा का बाद में तबादला कर दिया गया था। कबीरराज और रंधावा के साथ डीएसपी नरेंद्र सिंह और डीएसपी राम कुमार भी शंभू बॉर्डर पर तैनात थे, जो कि किसान आंदोलन का केंद्र है। एसपी जींद सुमित कुमार और डीएसपी अमित भाटिया के नाम की भी सिफारिश की गई है। आंदोलन के समय वह पटियाला-दिल्ली हाईवे पर खनौरी बॉर्डर पर तैनात थे। 

सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सरकार को बताया कि इन अधिकारियों ने उस समय अपनी ड्यूटी निभाई, जब पुलिस को हर तरफ से हजारों आंदोलनकारियों के हमलों का सामना करना पड़ रहा था। अधिकारियों के अनुसार, अगर प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर बढ़ने में सफल हो जाते तो वे राष्ट्रीय राजधानी को घेर लेते जैसा कि उन्होंने 2020 में किया था। 

प्रदर्शनकारी किसानों ने 12 फरवरी से सीमाओं पर डेरा डालना शुरू कर दिया था। सरकार का दावा है कि 13 फरवरी को शंभू सीमा पर लगभग 15,000 लोग एकत्र हुए थे। सरकार ने कहा कि प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ने के लिए संशोधित ट्रैक्टरों के साथ आगे बढ़ रहे थे। 21 फरवरी को खनौरी में हुई झड़पों में बठिंडा के 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की मौत हो गई और कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हो गए।

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