भाजपा विधायक दल की बैठक छोड़ी, शपथ ग्रहण में नहीं आए; नायब सैनी को CM बनाने से नाराज अनिल विज?
हरियाणा निवास में जहां भारतीय जनता पार्टी की बैठक हो रही थी, उसमें अनिल विज भी मौजूद थे। हालांकि, वह बैठक जारी रहने के दौरान वहां से निकल गए। इसकी वजह पूछे जाने पर वह सवालों को टाल गए।
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा की राजनीति में मंगलवार को नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ ही देर बाद भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सैनी के साथ ही कंवरपाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, चौधरी रंजीत सिंह चौटाला, जय प्रकाश दलाल और बनवारी लाल ने मंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले, भाजपा विधायक दल की बैठक में सैनी को नेता चुना गया। मीटिंग में केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ और हरियाणा मामलों के प्रभारी बिप्लब देब मौजूद थे। इन सबके बीच, खट्टर सरकार में गृह मंत्री का पद संभालने वाले सीनियर नेता अनिल कुमार विज नाराज बताए जा रहे हैं।
दरअसल, हरियाणा निवास में जहां भाजपा की बैठक हो रही थी, उसमें अनिल विज भी मौजूद थे। हालांकि वह बैठक जारी रहने के दौरान वहां से निकल गए। इसकी वजह पूछे जाने पर वह सवालों को टाल गए। उन्होंने कहा कि जो लोग दिल्ली से आए हैं, वे बताएंगे। बैठक बीच में छोड़कर निकलने के बाद विज सीधे अपने अंबाला स्थित आवास पर पहुंच गए। 6 बार के विधायक विज चंडीगढ़ में शपथ समारोह में भी शामिल नहीं हुए। अब इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा कि हरियाणा सरकार में जिस तरह का बदलाव हुआ है, विज उससे खुश नहीं हैं। उनकी नाराजगी साफ तौर पर नजर आ रही है।
अनिल विज को मनाने की कोशिशें जारी
रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल विज को मनाने की कोशिशें जारी हैं। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि करनाल से बीजेपी सांसद संजय भाटिया को अंबाला कैंट भेजा गया है। भाटिया को विज का करीबी माना जाता है। वह संगठन से जुड़े नेता हैं और उन्हें विज का विश्वासपात्र कहा जाता है। मालूम हो कि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक और जजपा के 10 विधायक हैं। इस गठबंधन को 7 में से 6 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त था। आंकड़ों के लिहाज से, भाजपा सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं दिख रहा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 30 विधायक हैं और इंडियन नेशनल लोकदल व हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक-एक सीट है। हरियाणा में हुए इस आश्चर्यजनक घटनाक्रम के बाद जेजेपी ने दिल्ली में अपने नेताओं की एक बैठक बुलाई। माना जा रहा है कि हरियाणा के उसके 5 विधायकों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसे पार्टी में संभावित टूट का संकेत माना जा रहा है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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