पानी छोड़ने को तैयार नहीं पंजाब, हरियाणा के 8 जिलों में गंभीर पेयजल संकट; केवल 15% मांग हो रही पूरी
गौरतलब है कि बीते एक सप्ताह से पंजाब और हरियाणा सरकारों के बीच भाखड़ा डैम से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति को लेकर विवाद चल रहा है।

पंजाब द्वारा भाखड़ा बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ने से इनकार करने के कारण हरियाणा के आठ जिले गंभीर पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं। प्रभावित जिलों में सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र, जींद, भिवानी और चरखी दादरी शामिल हैं। हरियाणा के जनस्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग (PHE) की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, इन जिलों को महज 15% जल आपूर्ति मिल पा रही है।
पानी के टैंकरों से पेयजल आपूर्ति
इसके मुताबिक, इन आठ जिलों को पेयजल के लिए 4,931.90 करोड़ लीटर पानी की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में केवल 764.80 करोड़ लीटर पानी उपलब्ध है, जो कुल मांग का सिर्फ 15.5% है। इस कमी के कारण 36 गांवों में आपातकालीन सेवाओं के माध्यम से पानी के टैंकरों से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। विभाग ने सभी इकाइयों को निर्देश दिए हैं कि वे जल कार्यों में पर्याप्त पानी का भंडारण सुनिश्चित करें। यह मुद्दा शनिवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में भी प्रमुखता से उठाया गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री के साथ शेयर की गई PHE विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्यभर के 614 जलाशयों में से 156 जलाशय पूरी तरह से सूख चुके हैं। परिणामस्वरूप, इन क्षेत्रों के 36 गांवों में आपात सेवाओं के तहत पानी के टैंकरों से आपूर्ति की जा रही है। चूंकि पंजाब की ओर से निकट भविष्य में जल छोड़ने की कोई संभावना नहीं है, ऐसे में विभाग ने राज्यभर में अपने सभी अधिकारियों को जलाशयों में अधिकतम जल भंडारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
संकट केवल 20 मई तक?
PHE विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "हम अब बारिश की उम्मीद में हैं… संकट केवल 20 मई तक का है। इसीलिए हमने आठ दिनों के लिए अतिरिक्त जल आपूर्ति की मांग की थी, जिसे BBMB और गृह मंत्रालय के निर्देशों के तहत स्वीकार कर लिया गया। चुनौती बड़ी है, लेकिन हम सीमित संसाधनों के साथ पूरी कोशिश कर रहे हैं।"
अधिकारी ने यह भी कहा कि सभी जिलों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि पेयजल प्राथमिकता पर है और कृषि कार्यों के लिए पानी का इस्तेमाल सतर्कता से किया जाए। इन जिलों की सिंचाई की मुख्य व्यवस्था नहरों पर निर्भर है। बुवाई का मौसम भी आने वाला है। इसलिए निर्देश दिए गए हैं कि किसान घबराहट में सिंचाई शुरू न करें।
नहीं मान रही भगवंत मान सरकार
गौरतलब है कि बीते एक सप्ताह से पंजाब और हरियाणा सरकारों के बीच भाखड़ा डैम से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति को लेकर विवाद चल रहा है। पंजाब ने पहले ही हरियाणा को छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा को 8,500 क्यूसेक से घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया था। गृह मंत्रालय की सलाह के बावजूद पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की बैठक में भाग नहीं लिया। साथ ही, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे पर विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की घोषणा की है।
हरियाणा के लिए यह संकट आगामी सप्ताहों में और भी गंभीर हो सकता है, यदि समय पर जल आपूर्ति नहीं होती या वर्षा नहीं होती। राज्य सरकार इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाने की तैयारी कर रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जल टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।
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