Hindi Newsहरियाणा न्यूज़Preparations for big operation in Haryana BJP may cancel tickets of half the MLAs

हरियाणा में बड़े ऑपरेशन की तैयारी, BJP आधे विधायकों का काट सकती है टिकट

  • सूत्रों के अनुसार भाजपा ने अपनी अंदरूनी सर्वे पर मौजूदा आधे विधायकों के टिकट काटने का मन बनाया है। गुरुवार शाम होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्य की सभी सीटों के लिए नामों पर मंथन होगा।

Himanshu Jha हिन्दुस्तानThu, 29 Aug 2024 05:51 AM
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Haryana Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व गुरुवार को उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करेगा। आम चुनाव में लगे बड़े झटके के बाद भाजपा नेतृत्व विधानसभा चुनाव के लिए सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटा है। पार्टी सत्ता विरोधी माहौल की काट के लिए लगभग आधे मौजूदा विधायकों के टिकट भी काट सकती है। लोकसभा चुनाव में जिन सांसदों को टिकट नहीं मिला था, उनके नामों पर भी पार्टी विचार कर रही है।

सूत्रों के अनुसार भाजपा ने अपनी अंदरूनी सर्वे पर मौजूदा आधे विधायकों के टिकट काटने का मन बनाया है। गुरुवार शाम होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्य की सभी सीटों के लिए नामों पर मंथन होगा। पार्टी पहली सूची में लगभग 50 से 60 प्रत्याशियों के नाम जारी कर सकती है। लोकसभा चुनाव नहीं लड़ीं पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को भी टिकट मिलने की संभावना है। दूसरे दलों से आए आधा दर्जन नेताओं को भी टिकट दिए जा सकते हैं।

हरियाणा में भाजपा के लिए इस बार के चुनाव बेहद अहम है। बीते दस साल से राज्य में सत्ता में रहने के कारण उसे सत्ता विरोधी माहौल का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही सामाजिक समीकरणों को साधने का दबाब भी है। भाजपा ने दस साल पहले 2014 में पूर्ण बहुमत से राज्य में सरकार बनाई थी। उसी साल इसके पहले हुए लोकसभा चुनाव में उसने सभी दस सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में भी पार्टी ने लोकसभा की सभी दस सीटें जीतीं, लेकिन विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं कर सकी। 90 सदस्यीय विधानसभा में उसे 40 सीटें ही मिलीं और उसने जजपा (10) और कुछ निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ही बने रहे थे।

कांग्रेस के साथ हो रहे जाट ध्रुवीकरण को रोकने के लिए भाजपा ने कांग्रेस की पूर्व मंत्री और चौधरी बंसीलाल की बहू किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति को अपने साथ जोड़ा। किरण को भाजपा ने राज्यसभा का सदस्य भी बनाया है, ताकि जाट समुदाय का ध्रुवीकरण कांग्रेस के साथ न हो। राज्य में भाजपा और कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में उतरी जजपा ने चंद्रशेखर आजाद (रावण) की पार्टी आजाद समाज पार्टी संग गठबंधन किया है।

गैर जाट समुदाय को भी साधने की कोशिश

भाजपा की बीते दो चुनावों से गैर जाट ध्रुवीकरण की राजनीति रही है। अब स्थितियां बदली हैं। लोकसभा चुनाव में यह रणनीति पूरी तरह सफल नहीं रही। दलित व अन्य समुदायों ने भी कांग्रेस का साथ दिया था। ऐसे में भाजपा एक बार जाट समुदाय को साधने के साथ गैर जाट समुदायों को भी साथ बरकरार रखने की कोशिश में है। आम चुनाव के पहले पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया और जजपा से भी उसका नाता टूट गया।

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