What Is Exit Poll- एग्जिट पोल क्या और कैसे हार-जीत का लगाया जाता है पता
एग्जिट पोल मतगणना से पहले आने वाले चुनावी नतीजों का एक अनुमान होता है, जो यह बताता है कि वोटर्स का रुझान किस पार्टी की ओर जा सकता है। एग्जिट पोल कई बार नतीजों से बिल्कुल मेल खाते हैं तो कभी नहीं।
गुजरात में आज आखिरी चरण की वोटिंग के साथ ही विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई। 8 दिसंबर को मतों की गिनती के बाद तय हो जाएगा कि इस बार यहां किस पार्टी की सरकार बनेगी। इससे पहले ही हर कोई यह जानना चाहता है इस बार यहां कौनसी पार्टी जनता को लुभाने में ज्यादा कामयाब रही। इसके लिए सभी लोग टीवी चैनलों पर नजरें गड़ाए बैठ गए हैं। मतदान खत्म होते ही तमाम न्यूज चैनलों पर एग्जिट पोल्स आने शुरू हो जाते हैं। न्यूज चैनल सर्वे एजेंसियों के साथ मिलकर ये एग्जिट पोल कराते हैं।
दरअसल, एग्जिट पोल मतगणना से पहले आने वाले चुनावी नतीजों का एक अनुमान भर होता है और बताता है कि मतदाताओं का रुझान किस पार्टी या गठगबंधन की ओर जा सकता है। एग्जिट पोल कई बार नतीजों से बिल्कुल मेल खाते हैं तो कभी उनके उलट भी साबित होते हैं। एग्जिट पोल का प्रसारण मतदान पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही किया जाता है।
एग्जिट पोल में कई सवाल मतदाताओं से कई तरह के पूछे जाते हैं, लेकिन उनमें सबसे अहम सवाल होता है कि आपने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट किसे दिया है। हजारों मतदाताओं से इसी तरह के सवाल-जवाब कर आंकड़े जुटाए जाते हैं, उनके आंकड़ों जुटाए जाते हैं और यह विश्लेषण किया जाता है कि किस पार्टी को कितने प्रतिशत वोट प्राप्त हैं।
भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (आईआईपीयू) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी। भारत में 1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया।
एग्जिट पोल कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वहां लोगों से बात करता है। एग्जिट पोल में क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेगा। मजबूत एग्जिट पोल के लिए हजारों वोटर्स से बातचीत होती है।
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