क्या इस बार बदल जाएगा गुजरात में भाजपा का 1+4 फॉर्मूला? जानिए कैसे सत्ता बरकरार रखने में आया काम
ऐसा लगता है कि भाजपा का 1+4 फॉर्मूला लिटमस टेस्ट पास कर चुका है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि लो-प्रोफाइल पटेल अपनी दूसरी पारी में आसानी से खेल पाएंगे या नहीं।
हाल में संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 182 में से रिकॉर्ड 156 सीट जीती हैं। यह गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा की लगातार सातवीं जीत है। इन चुनावों में कांग्रेस को 17 और आम आदमी पार्टी (आप) को पांच सीट पर जीत मिली। कहते हैं कि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलने की भाजपा की चाल या मजबूरी ने कई राज्यों में भाजपा के पक्ष में काम किया है। यह रणनीति सबसे ज्यादा गुजरात में काम आई।
7 अगस्त 2016 को, मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल (गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री) को पाटीदार और दलित विरोधों के बीच अपनी सीट छोड़नी पड़ी। अगले मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला करने के लिए बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में विजय रूपाणी को चुना गया। उस समय गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए लगभग एक साल बाकी था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम दफ्तर छोड़ते समय, आनंदीबेन ने कहा था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है क्योंकि 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं द्वारा अपनी सीटों और भूमिका को छोड़ने की "परंपरा" है। लेकिन मामला इतना साधारण नहीं था। स्पष्ट संकेत थे कि पाटीदार विरोध और दलित आंदोलन सहित महत्वपूर्ण मुद्दों को संभालने के तरीके से पार्टी के शीर्ष नेता नाखुश थे। जहां पाटीदार आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे थे तो वहीं दूसरा मामला गुजरात के ऊना में चार युवकों की लिंचिंग का था जिसके बाद दलित सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे थे।
आनंदीबेन ने 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद पदभार संभाला था। लेकिन दो साल और 22 दिनों के बाद आनंदीबेन की जगह रूपाणी सीएम बने। उनके अचानक चले जाने से कई सवाल खड़े हुए। 2017 के गुजरात विधान सभा चुनाव में, रूपाणी ने राजकोट पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा और 22 दिसंबर, 2017 को सर्वसम्मति से विधायक दल के नेता के रूप में चुने गए।
रूपाणी सीएम पद पर बने रहे। लगभग 4 वर्षों के बाद 13 सितंबर, 2021 को उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया। उस समय गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए एक साल वक्त बचा था। रूपाणी ने ऐसे समय में अपना पद छोड़ा जब सत्ताधारी भाजपा पर आरोप लगे कि वह राज्य में कोविड की दूसरी लहर को संभालने में विफल रही। इसके लिए कथित तौर पर सीएण रूपाणी को जिम्मेदार ठहराया गया। बाद में रूपाणी ने कहा था, "भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन स्वाभाविक घटना है। मेरे जैसे पार्टी कार्यकर्ता को राज्य की सेवा करने का मौका देने के लिए मैं पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं...."
भूपेंद्र पटेल को 13 सितंबर, 2021 को राज्य का नेतृत्व करने के लिए कहा गया। वह कडवा पाटीदार उपसमूह से मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति बने। 1 साल 90 दिनों के बाद, 12 दिसंबर, 2022 को उन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली। पटेल ने इस साल के चुनाव में अहमदाबाद जिले की घाटलोदिया विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार 1.92 लाख मतों से जीत हासिल की। भाजपा ने लगातार 7वीं बार राज्य सरकार बनाई है।
क्या है भाजपा का 1+4 फॉर्मूला?
चूंकि भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में यह एक शानदार जीत है। ऐसे में सवाल है कि क्या वे रूपाणी की तरह अगले चार साल तक सीएम की सीट बरकरार रखेंगे? या फिर अगर बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव जीतती है तो क्या कोई युवा उनकी जगह लेगा? दरअसल आनंदीबेन पटेल ने चुनाव से ठीक एक साल पहले इस्तीफा दिया था। उस बचे हुए एक साल और फिर चुनाव जीतने के बाद चार साल रूपाणी ने बतौर सीएम संभाले। लेकिन अगले चुनाव से ठीक एक साल पहले रूपाणी ने भी इस्तीफा दे दिया। इस बचे हुए एक साल में भूपेंद्र पटेल सीएम रहे। हालिया चुनाव जीतने के बाद एक बार फिर से भूपेंद्र पटेल ने सीएम पद की शपथ ली। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या भाजपा उन्हें चार साल बाद हटाएगी? हालांकि ताजा चुनाव में रिकॉर्ड जीत को देखते हुए, उन्हें 2027 के चुनाव से पहले हटाना मुश्किल लग रहा है। ऐसा लगता है कि भाजपा का 1+4 फॉर्मूला लिटमस टेस्ट पास कर चुका है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि लो-प्रोफाइल पटेल अपनी दूसरी पारी में आसानी से खेल पाएंगे या नहीं।
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