Hindi Newsगुजरात न्यूज़How BJP changed political Scenario in Gujarat within Five Years amid anti Incumbency Narendra Modi Amit Shah magic factor

एंटी इनकमबेंसी के बावजूद 5 साल में BJP ने कैसे बदली गुजरात की सियासी तस्वीर? जानें- पांच बड़े कारण

राज्य में एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को देखते हुए पिछले साल सितंबर में मोदी-शाह की जोड़ी ने CM विजय रुपाणी समेत उनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया और उनकी जगह नई कैबिनेट ने जगह ली थी।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 Dec 2022 11:23 AM
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गुजरात विधान सभा चुनाव परिणाम के ताजा रुझानों और नतीजों से स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार सातवीं बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। इससे बड़ी बात यह कि पांच साल के अंदर बीजेपी ने राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया है। 2017 के चुनावों में 99 सीटों पर सिमटी बीजेपी इस बार दो तिहाई सीटों के साथ 151 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है, जो राज्य के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत है।

ऐसे में यह बात गौर करने वाली है कि आखिर बीजेपी ने पिछले पांच सालों में ऐसे कौन से कदम उठाए, जिससे राज्य की राजनीतिक सूरत बदल गई और बीजेपी अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती नजर आ रही है। आइए जानते हैं ऐसे पांच बड़े कारण जिसने बीजेपी के खिलाफ एंटीइनकमबेंसी फैक्टर होने के बावजूद बंपर बहुमत दिलाने में बड़ा रोल निभाया है।

वाइब्रेंट गुजरात और मोदी का करिश्मा: 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात चुनावों के केंद्र में रहे हैं। वह न सिर्फ गुजराती अस्मिता के प्रतीक चिह्न बने हुए हैं, बल्कि बीजेपी के लिए अभी भी सबसे बड़े जिताऊ फैक्टर बने हुए हैं। इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में कुल 27 चुनावी रैलियां की हैं। उन्होंने दो दिन लगातार अहमदाबाद में 16 विधानसभा सीटों को कवर करते हुए 40 किलोमीटर का लंबा रोड शो किया है।

गुजरात को वाइब्रेंट बनाने की कोशिशों में पीएम मोदी ने अपने गृह राज्य में खूब निवेश करवाया। वो पिछले पांच सालों में अक्सर किसी न किसी योजना के उद्घाटन या शिलान्यास के मौके पर गुजरात जाते रहे हैं। गुजरात में पिछले पांच सालों के दौरान बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश हुआ है। आधारभूत संरचनाओं के विकास में गुजरात ने कई मील के पत्थर गाड़े हैं। उन्हीं में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' भी शामिल है। केवड़िया में सरदार सरोवर डैम पर स्थापित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की ऊंचाई 182 मीटर है, जो अमेरिका के न्यूयॉर्क के 93 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से दोगुनी है। इस स्मारक ने शुरुआत के डेढ़ साल में ही पर्यटकों से करीब 120 करोड़ रुपये की कमाई की थी। अभी हाल ही में चुनावों से ऐन पहले 1.54 लाख करोड़ का फॉक्सकॉन-वेदांत प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से गुजरात शिफ्ट हुआ था, जिस पर काफी हो हल्ला मचा था।

मुख्यमंत्री समेत बदली पूरी कैबिनेट:
राज्य में एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को देखते हुए पिछले साल सितंबर 2021 में मोदी-शाह की जोड़ी ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत उनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया और उनकी जगह नया सीएम और नए मंत्रियों ने शपथ ली। बीजेपी ने ये फेरबदल कर गुजरात में दरकती सियासी जमीन को न सिर्फ रोकने में सफलता पाई बल्कि देशभर में यह संदेश देने में कारगर रही कि बीजेपी विकास और जनसरोकार से समझौता नहीं कर सकती है। इस कवायद की वजह से पिछले एक साल में जनमानस में बीजेपी के प्रति रुख में बदलाव आया है।

दिग्गजों का टिकट काटा:
बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी विधायकों के टिकट काट दिए थे। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत कई मंत्रियों और दिग्गजों का भी टिकट काट दिया गया । बीजेपी ने इसके जरिए न सिर्फ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को दबाने की कोशिश की बल्कि नए लोगों और युवाओं को टिकट देकर पार्टी ने आमजन के बीच पैठ बनाने की भरपूर कोशिश की, जो सीटों में तब्दील होती नजर आ रही है।

पाटीदारों को साथ किया:
1990 के बाद परंपरागत रूप से पाटीदार बीजेपी के साथ ही रहे हैं लेकिन 2015 में आरक्षण की मांग पर पाटीदार समुदाय ने बीजेपी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। पाटीदारों का एक बड़ा तबका तब 2017 में कांग्रेस के पक्ष में चला गया था, इससे बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार बीजेपी ने पाटीदार आंदोलन के बड़े नेता हार्दिक पटेल को न सिर्फ अपने पाले में किया बल्कि उसे वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतार भी दिया।

1931 की अंतिम जाति जनगणना के मुताबिक राज्य में पाटीदारों की आबादी करीब 11 फीसदी मानी जाती है। माना जाता है कि करीब 40 विधानसभा सीटों पर पाटीदार हार-जीत तय करते हैं। 1980 के दशक तक पाटीदार समाज कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता था। आम आदमी पार्टी ने भी पाटीदारों को लुभाने की बहुत कोशिश की लेकिन बीजेपी ही उसमें सफल होती दिख रही है। इसके अलावा बीजेपी ने ठाकोर समुदाय के अल्पेश ठाकोर को भी अपने पाले में कर लिया।

बागियों पर कंट्रोल:
हिमाचल प्रदेश की तरह गुजरात में भी बीजेपी के बागी खेल करने की जुगत में थे लेकिन बीजेपी आलाकमान ने यहां बागियों पर समय रहते नकेल कस लिया, इससे बीजेपी राज्य में बेहतर प्रदर्शन कर पाई है। बीजेपी को गुजरात में 12 बागियों का खतरा सता रहा था। पार्टी ने उन सभी नेताओं को सस्पेंड कर कड़ा संदेश दिया।

बागियों में वडोदरा जिले की वाघोडिया सीट से मौजूदा विधायक मधु श्रीवास्तव के अलावा पाडरा के पूर्व विधायक दीनू पटेल और बायड के पूर्व विधायक धवलसिंह जाला भी शामिल थे। इनके अलावा बीजेपी ने कुलदीपसिंह राउल (सावली), खाटूभाई पागी (शेहरा), एस एम खांट (लूनावाडा), जे पी पटेल (लूनावाड़ा), रमेश जाला (उमरेठ), अमरशी जाला (खंभात), रामसिंह ठाकोर (खेरालू), मावजी देसाई (धनेरा) और लेबजी ठाकोर (डीसा निर्वाचन क्षेत्र) को भी निलंबित कर दिया था।

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