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आगंनबाड़ी में हिन्दू बच्चों को नमाज सिखाई, 'या हुसैन' के नारे लगवाए? वडोदरा और जामनगर के वायरल वीडियो पर विवाद

गुजरात के वडोदरा और जामनगर के आंगनवाड़ी केंद्रों में कथित तौर पर मासूम हिन्दू बच्चों को नमाज पढ़वाने, ईद मनाने और या हुसैन के नारे लगाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

Praveen Sharma वडोदरा। लाइव हिन्दुस्तान, Tue, 16 July 2024 03:12 PM
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गुजरात के वडोदरा और जामनगर के आंगनवाड़ी केंद्रों में कथित तौर पर मासूम हिन्दू बच्चों को नमाज पढ़वाने, ईद मनाने और या हुसैन के नारे लगाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इन वायरल वीडियो को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। हिन्दू संगठनों ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इसे धर्म परिवर्तन की बड़ी साजिश बताया है।

देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार, वडोदरा के डभोई तालुका के करनाली आंगनवाड़ी का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें छोटे बच्चों को ईद मनाने और स्कूल के समय नमाज अदा करने के बारे में सिखाया जा रहा है। वीडियो में बच्चों को सिर पर रूमाल बांधते, नमाज पढ़ना, ईद की रस्में जैसे बिरयानी बनाना, ईद मुबारक कहना और ताजिया के दौरान “या हुसैन” के नारे लगाते दिखाया गया है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बता दें कि लाइव हिन्दुस्तान इन वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

ऐसा बताया जा रहा है कि करनाली आंगनवाड़ी शिक्षिका ने खुद ही अपने सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए थे, जिसमें आंगनवाड़ी सत्र के दौरान बच्चे सीख रहे थे और नारे लगा रहे थे। शिक्षिका ने बच्चों के सिर पर रूमाल भी बांधा था।

दभोई के भाजपा विधायक शैलेश सोट्टा ने आंगनवाड़ी केंद्रों में इस तरह की गतिविधियों के संचालन पर चिंता जताई है। विधायक सोट्टा ने इस मामले में राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री कुबेरभाई डिंडोर, जिला विकास अधिकारी ममताबेन हिरपारा और जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी से इस घटना की शिकायत कर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका आरोप है कि हिंदू बच्चों को त्योहारों पर पाठ पढ़ाते समय नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया गया, जबकि ईद की नमाज पढ़ाना पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था। 

विधायक ने यह भी सवाल उठाया कि क्या शिक्षिका ने क्लास में इस्लामी धार्मिक प्रथाओं को शामिल करने के लिए उचित मंजूरी प्राप्त की था और क्या ये गतिविधियां शैक्षिक पाठ्यक्रम के अनुरूप थीं।

वहीं, शिक्षिका ने कहा कि ईद, जन्माष्टमी, नवरात्रि जैसे त्यौहारों को पढ़ाना पाठ्यक्रम का हिस्सा है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वीडियो में नमाज अदा करते हुए दिखाए गए बच्चे अल्पसंख्यक समुदाय के हैं, हिंदू नहीं। शिक्षिका ने आगे कहा कि उन्होंने वीडियो को अभिभावकों के वॉट्सऐप ग्रुप में भी शेयर किया था, जहां इसे काफी पसंद किया गया।

वहीं, रिपब्लिक भारत न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि करनाली की आंगनवाड़ी में एक भी मुस्लिम बच्चा नहीं पढ़ता।फिर भी वहां नमाज सिखाना यह आंगनवाड़ी को मदरसा बनाने की चाल लग रही है।  

बता दें कि, जामनगर की एक आंगनवाड़ी में भी इसी तरह की गतिविधि का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।

 

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