AAP के रूप में गुजरात के आदिवासियों को मिला नया 'दोस्त'? जानें चुनाव में कितना दिया साथ
भाजपा ने गुजरात में आदिवासी बहुल 27 सीटों में से 23 पर भी जीत हासिल की है। वहीं, 'आप' ने राज्य की राजनीति में नई एंट्री कर आदिवासी बेल्ट में पैर जमाने के लिए कांग्रेस को किनारे कर दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक के सहारे राज्य की 182 सीटों में 156 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। भाजपा ने गुजरात में आदिवासी बहुल (अनुसूचित जनजाति) 27 सीटों में से 23 पर भी जीत हासिल की है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य की राजनीति में नई एंट्री कर आदिवासी बेल्ट में पैर जमाने के लिए कांग्रेस को किनारे कर दिया।
हालांकि, 'आप' यह केवल एक सीट ही जीत सकी, लेकिन एसटी आरक्षित 27 सीटों में से नौ में 'आप' भाजपा के लिए सीधी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आई।
कांग्रेस ने 2017 की 14 सीटों की तुलना में बड़ी गिरावट करते हुए महज तीन सीटें जीत सकी। भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP), जिसने 2017 के चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन में दो सीटें जीती थीं, सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। कांग्रेस और बीटीपी ने इस बार अलग-अलग चुनाव लड़ा था।
चैतर वसावा को खूब मिले वोट
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच विपक्षी वोटों के बंटवारे को भुनाने के लिए भाजपा ने 2017 की तुलना में अपनी सीटों की संख्या दोगुनी कर ली। देदियापाड़ा सीट पर 'आप' उम्मीदवार चैतर वसावा ने भाजपा के हितेश वसावा को हरा दिया। 'आप' के वसावा को 1.02 लाख वोट मिले, जो इस चुनाव में 'आप' उम्मीदवार को मिले सबसे ज्यादा वोट हैं।
वहीं, झगड़िया में सात बार के विधायक छोटू वसावा को भाजपा उम्मीदवार रितेश वसावा ने हरा दिया। वंसदा और दांता सीटों पर कांग्रेस कब्जा बरकरार रखने में कामयाब रही, जहां आदिवासी नेता तुषार चौधरी ने अश्विन कोतवाल को हराया।
छोटा उदयपुर से चुनाव लड़ने वाले अर्जुन राठवा ने कहा कि 'आप' उम्मीदवारों ने उन क्षेत्रों में 'ईमानदारी' से लड़ाई लड़ी जहां शराब और पैसे के बंटवारे ने मतदाताओं को प्रभावित किया। राठवा को 43,880 वोट मिले, लेकिन वह अनुभवी आदिवासी नेता मोहनसिंह राठवा के बेटे राजेंद्रसिंह राठवा से हार गए।
उन्होंने कहा कि हमारे कई नेताओं को भारी संख्या में वोट मिले और वे भाजपा को सीधे चुनौती देने वाले बनकर उभरे, जबकि हमने उनकी तरह पैसा और शराब बांटने का सहारा नहीं लिया। लोगों ने 'आप' को आदिवासी बेल्ट में पहचानना शुरू कर दिया है और हम उनके लिए काम करना जारी रखेंगे।
'आप' ने आदिवासी आबादी को आकर्षित किया
राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल ने कहा कि यह देखना दिलचस्प था कि 'आप' जैसी शहरी पार्टी ने कुछ सबसे पिछड़े आदिवासी इलाकों में कैसे पैर जमाए। गोहिल ने कहा कि 'आप' ने जिस तरह से आदिवासी आबादी को आकर्षित किया, वह महत्वपूर्ण है, जिससे पता चलता है कि आदिवासी कैसे महत्वाकांक्षी हो रहे हैं।
कभी सबसे पुरानी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली इस पट्टी में 'आप' ने कांग्रेस को गंभीर चोट पहुंचाई है। गोहिल ने कहा कि इस प्रवृत्ति के उलटने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि 'आप' ने आदिवासी क्षेत्र में प्रवेश करने की पहले से ही योजना बना ली थी क्योंकि उसे वहां अवसर नजर आ रहा था। इससे यह भी पता चलता है कि आदिवासी आबादी अलग तरह से सोच रही है।
आदिवासी समुदाय (अनुसूचित जनजाति) राज्य की आबादी का लगभग 14 प्रतिशत है और 182 सदस्यीय विधानसभा में उनके लिए 27 सीटें आरक्षित हैं। आदिवासी समुदाय के लोग पूर्वी बेल्ट में फैले हुए हैं।
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