नित्यानंद के आश्रम में कैद हैं बेटियां, गुजरात हाई कोर्ट में बाप ने दायर की याचिका; इस वजह से खारिज
उच्च न्यायालय ने जनार्दन शर्मा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर शुक्रवार को जारी अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि उनकी बेटियां खुश हैं और जहां भी रह रही हैं, अपने आध्यात्मिक पथ पर हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय ने बेटियों को अवैध कैद से छुड़ाने के लिए एक व्यक्ति कि याचिका को ख़ारिज कर दिया। याचिकाकर्ता बेटियों के बाप ने स्वयंभू बाबा एवं भगोड़े स्वामी नित्यानंद की अवैध कैद में रह रही अपनी दो बेटियों को पेश किये जाने और रिहा किये जाने का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने जनार्दन शर्मा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर शुक्रवार को जारी अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि उनकी बेटियां खुश हैं और जहां भी रह रही हैं, अपने आध्यात्मिक पथ पर हैं।
न्यायमूर्ति ए. वाई. कोगजे और न्यायमूर्ति राजेंद्र एम. सरीन की खंडपीठ ने उस व्यक्ति की 21-वर्षीया और 18-वर्षीया दो बेटियों की 10 जनवरी, 2024 को एक वीडियो लिंक के जरिये अदालत के समक्ष पेशी पर भरोसा किया। जिसमें दोनों ने बताया था कि वे किसी भी अवैध कैद में नहीं हैं, जैसा कि याचिका में दावा किया गया है और उन्होंने सोच समझकर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का निर्णय लिया है।
अदालत ने कहा कि दोनों (याचिकाकर्ता की बेटियों) के बयान के बाद, अदालत संतुष्ट है कि दोनों वयस्क हैं और अपनी भलाई को समझने के लिए पर्याप्त परिपक्व हैं। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि वे उस स्थान पर खुश हैं जहां वे वर्तमान में रह रही हैं और अपने आध्यात्मिक पथ पर हैं। अदालत ने कहा, ''उपरोक्त के मद्देनजर, अदालत याचिका को खारिज करना उचित समझती है।''
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